पंडित दीनदयाल उपाध्याय हत्या केस की हो सकती है CBI जांच

एनटी न्यूज डेस्क/श्रवण शर्मा/नई दिल्ली

आपको बता दें कि भारतीय जनसंघ के सहसंस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की हत्या के 50 साल पुराने मामले की सरकार सीबीआई जांच करा सकती है।

प॰ दीनदयाल उपाध्याय

जांच नहीं हो सकी

11 फरवरी 1968 को पुराने मुगलसराय स्टेशन पर रेल पटरी के किनारे पं. दीनदयाल उपाध्याय मृत पाए गए थे। समय-समय पर यह मुद्दा उठता रहा है कि कि उनकी मौत के कारणों की तब सही ढंग से जांच नहीं हो सकी थी।

फाइल फोटो

लिखा गया केंद्र सरकार को पत्र

दरअसल, अंबेडकर नगर (जलालपुर) के पूर्व बीजेपी मंडल मंत्री राकेश गुप्ता ने 6 नवंबर 2017 को केंद्र सरकार को एक पत्र भेजा था। इसमें पटना जाते समय स्टेशन पर दीनदयाल उपाध्याय की हत्या को विरोधी दलों की साजिश बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की गई थी। हत्या के तार पश्चिम बंगाल, नई दिल्ली और बिहार से जुड़े होने की बात कही गई। पत्र में आरोप लगाया गया था कि हत्या के बाद न कानूनी कार्यवाही का पालन किया गया, ना ही पोस्टमॉर्टम कराया गया था।

फाइल फोटो

दस्तावेज लापता

दीनदयाल उपाध्याय की हत्या से जुड़ी एफआईआर, केस डायरी जैसे दस्तावेज लापता हैं। थाने में मिले एक रजिस्टर से पता चला है कि इस मामले में वाराणसी निवासी रामअवध, लालता और भरतराम को गिरफ्तार किया गया था। भरतलाल को जून 1969 में आईपीसी की धारा 379/411 के तहत चार साल की सजा सुनाई थी, बाकी दो बरी हो गए थे।

पुलिसकर्मियों की तलाश

आईजी मीणा ने कहा कि शासन के निर्देश पर केस की जांच शुरू कराई गई है। मुगलसराय जीआरपी से रिपोर्ट मिलने पर इसे शासन को भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि मुगलसराय में उस समय तैनात रहे पुलिसकर्मियों की तलाश करवाई जा रही है। उनका कहना है कि उस समय के कर्मी ही वास्तविक घटना के विषय में सही जानकारी दे सकते हैं।

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