कितना जानते हैं आप बरसाने की लट्ठमार होली के बारे में? यहां जानें महत्व से लेकर सबकुछ

एनटी न्यूज / मथुरा / बादल शर्मा

बिरज में होली रे रसिया. जी हां, हम अपने वादे के मुताबिक आपको बृज की होली का दर्शन करा रहे हैं. हमने दस फरवरी को वादा किया था कि हम आपको बृज की सभी प्रमुख होली के उत्सवों की पूरी रिपोर्ट देंगे. जानिए बरसाना की लट्ठमार होली को हमारे संवाददाता बादल शर्मा की रिपोर्ट के साथ….

  • उड़त गुलाल लाल भये बदरा…
  • बरसाने के हुरियारों पर बरसीं प्रेम-पगी लाठियां
  • कान्हा के गांव में होली का उल्लास रहा चरम पर
  • नख से शिख तक सोलह श्रृंगारों से सुसज्जित हुरियारिनों ने बरसाईं लाठियां

शुक्रवार को मनायी गयी लट्ठमार होली

उड़त गुलाल लाल भये बदरा…गुलाल, रंग, प्रेम और श्रद्धा का ऐसा संगम कि हर कोई कान्हा के गांव में होली की मस्ती में मस्त होकर झूम उठा. बरसाना की हुरियारिनों ने हुरियारों पर लाठियों की बरसात शुरू की तो मयूरी थिरकन पर लाठियों के प्रहार को अपनी ठाल पर सहते हुए हुरियारे ब्रज की होली के वास्तविक आनंद से श्रद्धालुओं को सराबोर कर रहे थे.

 

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ग्वालों की टोलियां पहुंचती हैं बरसाना…

ब्रज के बरसाना गांव में होली एक अलग ही तरह से खेली जाती है. जिसे लठमार होली कहते हैं. ब्रज में वैसे भी होली खास मस्ती भरी होती है क्योंकि इसे कृष्ण और राधा के प्रेम से जोड़कर देखा जाता है. यहां की होली में विशेष रूप से नन्दगांव के पुरुष और बरसाने की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि कृष्ण नंद गांव के थे और राधा बरसाने की थी. नंदगांव की टोलियां जब पिचकारियां लिए बरसाना पहुंचती हैं तो उन पर बरसाने की महिलाएं खूब लाठियां बरसाती हैं.

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जग होरी – बृज होरा…..

पुरुष इन लाठियों से बचने का प्रयास करते हैं साथ ही महिलाओं को रंगों में भिगोते हैं. नंद गांव और बरसाने के लोगों का विश्वास है कि होली की लाठियों से किसी को चोट नहीं लगती है. अगर चोट लगती भी है तो घाव पर मिट्टी लगा दीजिए सब सही हो जाते हैं. इस दौरान भांग ठंडाई का भी खूब प्रयोग होता है. कीर्तन मंडली द्वारा कान्हा बरसाने में आय जइयो बुलाय गई राधा प्यारी, फाग खेलन आये है नटवर नंद किशोर और उड़त गुलाल लाल भए बदरा – जैसे गीत गाए जाते हैं. कहा जाता है कि सब जग होरी, जा बृज होरा यानि कि बृज की होली सबसे अनूठी.

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कुछ इस तरह शुरू होती लाठी बरसाने की कहानी

विश्व प्रसिद्ध बरसाना की लट्ठमार होली बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ खेली गई. राधारानी रुपी गोपियों ने नंदगांव के हुरियारों पर जमकर लाठियां बरसाईं. यह होली हंसी ठिठोली, गाली, अबीर-गुलाल तथा लाठियों से खेली गई. होली का आनंद देश-विदेश से कोने-कोने से आये श्रद्धालुओंं ने जमकर लिया. होली के गीत गाते ये लोग हैं- नंदगाव के कृष्ण रूपी हुरियारे जो कि बरसाना में राधा रूपी गोपियों के साथ होली खेलने आये हैं. वर्षों से चली आ रही इस परंपरा के तहत नंदगांव के हुरियारे पीली पोखर पर आते हैं, जहां उनका स्वागत बरसाना के लोग ठंडाई और भांग से करते हैं. यहां से ये हुरियारे पहुंचते हैं रंगीली गली. रंगीली गली में ये हुरियारे बरसाना की हुरियारिनों को होली के गीत गा कर रिझाते हैं. होली के गीत और गालियों के बाद नाच गाना होता है और फिर खेली जाती है लट्ठमार होली.

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… और ढाल से बचने का प्रयास करते हैं हुरियार

लट्ठमार होली में बरसाना की हुरियारिनें नन्दगांव के हुरियारों पर जमकर लाठियां बरसाती हैं. लाठियों से बचने के लिए नन्दगांव के हुरियारे अपने साथ लायी ढाल का प्रयोग करते हैं. इस होली को खेलने के लिए नन्दगांव से बूढ़े, जवान और बच्चे सभी आते हैं और राधा कृष्ण के प्रेम भाव से खेलते हैं. इस अनोखी होली को देखने के लिए देश के हर कोने से श्रद्धालु आते हैं और इस प्रेम-पगे होली के त्योहार को देखकर आनंदित होते हैं.

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जब तक लाठी न बरसे…

कहा जाता है कि इस होली को देखने के लिए देवता भी आते हैं. वैसे तो बृज में होली का त्योहार 40 दिन तक होता है लेकिन कहते हैं जब तक लट्ठमार होली न हो जाय तब तक आनंद नहीं आता. हालांकि इस दौरान बरसाना की लट्ठमार होली की कड़ी सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन मुस्तैद रहा.

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संपादनः योगेश मिश्र

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