सेना के निशाने पर कश्मीर में आतंकियों के संपर्क सूत्र, कांटेक्ट ट्रेसिंग के जरिए आतंक पर गहरी चोट

न्यूज़ टैंक्स | लखनऊ

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लखनऊ : भारत-चीन सीमा विवाद (India china border dispute) के बीच कश्मीर में बढ़ती आतंकी गतिविधियों पर विराम लगाने के लिए अब भारतीय सेना (India Army) कश्मीर (Kashmir) में परिजनों को विश्वास में लेकर सुनिश्चित कर रही है कि यहां के युवाओं को गुमराह होने से रोका जाए। सेना की ये रणनीति काफी कारगर साबित हो रही है। इसके साथ ही सेना संपर्क सूत्र (contact tracing) के जरिए कश्मीर में सक्रिय और मारे गए आतंकियों के परिजनों तक पहुंचने में निरंतर जुटी हुई है।

युवाओं के आतंकी बनने से रोकने के लिए सेना का प्रयास

इस मामले पर जानकारी देते हुए सेना की 15 कोर के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू का कहना है कि कश्मीर में इस रणनीति के चलते काफी सफलता मिल रही है। इस दौरान उनकी पूरजोर कोशिश रहती है कि वे परिजनों को समझा सकें कि वे युवाओं को समझाएं की जोश में आकर कोई गलत कदम उठाने की गलती न करें। सेना के खिलाफ बंदूक उठाने का परिणाम बहुत गलत साबित होगा।

युवाओं को हथियार उठाने से रोकेगी कांटेक्ट ट्रेसिंग

श्रीनगर में रविवार को कोर कमांडर ने कहा कि परिवारों की काउंसलिंग युवाओं को राह भटकने से रोकने में काभी कारगर साबित होती है। ऐसे में अब इस प्लान के जरिए उन परिवारों तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है जिनके बच्चे गुमराह हो सकते हैं। बता दें कि कमांडर ने कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स की विक्टर फोर्स के जीओसी के रूप में कांटेक्ट ट्रेसिंग के माध्यम से कई युवाओं को हथियार उठाने से रोका था। कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच यहां कांटेक्ट ट्रेसिंग के जरिए संक्रमितों की पहचान भी की जा रही है।

कश्मीरी भटके युवाओं को वापस सही राह चुनने का मौका

कश्मीर में बढ़ती आतंकी गतविधियों के दौरान इस तरह की कोई भी मूहिम काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। इस दौरान सेना की कोशिश रहती है कि यहां के युवाओं को शिक्षा और खेलकूद संबंधित अन्य गतविधियों में जोड़ा जाए और उनके दिमाग से आतंकवादी बनने का विचार न आने दिया जाए। फिलहाल, इस मूहिम का यहां के युवाओं पर काफी असर होते देखा जा रहा है।

जनरल राजू ने कही ये बात

जनरल राजू ने हाल ही के एक वाकया का जिक्र करते हुए बताया कि हमारी इस कोशिश के बाद माजिद नाम के एक युवा ने गलत रास्ते को दरकिनार कर न सिर्फ हथियार छोड़ दिए बल्कि आज आज वह जम्मू-कश्मीर के बाहर अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहा है। ऐसे में अब निरंतर सेना और पुलिस आतंकी बन चुके युवाओं को वापस लाने के प्रयास में जुटी हुई है।