त्रिपुरा में धर्मांतरण की राह में चट्टान बने स्वामी चितरंजन देबबर्मा

नई दिल्ली।

2000 में गुरु स्वामी काली जी महाराज की हत्या हो गई, क्योंकि उनके कारण हिंदुओं के धर्मांतरण में मिशनरीज को सफलता नहीं मिल रही थी। गुरु की हत्या के बाद स्वामी चितरंजन उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने में जुटे।

आज चितरंजन जी त्रिपुरा में 24 आश्रमों का संचालन करते हैं, जहां गरीब आदिवासी बच्चों की देखभाल भी होती है। आश्रमों के माध्यम से आदिवासी अंचल में शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे सेवा कार्य चल रहे। स्वामी जी को दिल्ली में गृह मंत्रालय द्वारा कर्मयोगी अवार्ड दिया जाएगा।

स्वामी चितरंजन का कहना है कि त्रिपुरा में बिप्लब देब की सरकार में धर्मांतरण की घटनाएं कम हुईं हैं, पहले लेफ्ट की सरकार में धर्मांतरण को बढ़ावा मिल रहा था।