एनटी न्यूज़ डेस्क / वर्धा
हिंदी विश्वविद्यालय की नीति ही पूरी तरह से खोखली है. कहीं भी कुछ भी मनमानी हो रही है. प्रवेश परीक्षा के अध्यक्ष जी अपनी नाकामी छुपाने में लगे हैं. कहते हैं किसी को भी कम नंबर दिया जा सकता है, ये तो साक्षात्कार लेने वाले के ऊपर है. वो धांधली का खुल कर समर्थन कर रहे हैं जो भी साक्ष्य दिया जा रहा है उसे यूँ ही इधर-उधर करके टाल रहे हैं और पूरे प्रकरण को सलटाने में प्रयासरत हैं. यह बातें हिंदी विवि वर्धा के प्रशासनिक भवन के सामने अनशन पर बैठे छात्रों ने कही.
सिस्टम का दीमक है ऐसा प्रशासन
छात्रों ने विवि प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि ‘ये सिस्टम के वो दीमक हैं जो पूरे सिस्टम को धीरे-धीरे चाट जाना चाहते हैं. प्रवेश परीक्षा की धांधली के लिए सबसे पहले प्रवेश समिति को भंग किया जाना चाहिए और इन सबकी भी जांच होनी चाहिए.’
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छात्रों ने इन प्रश्नों को रखा मीडिया के सामने
जनसंचार विभाग की पीएचडी के प्रवेश हेतु हुए साक्षात्कार में धांधली का आरोप लगाते हुए अनशन पर बैठे छात्रों ने चौथे दिन इन प्रश्नों को कुलपति से यह प्रश्न किए-
- कुलपति की अध्यक्षता में प्रश्न पत्र कैसे लीक हुए?
- प्रवेश परीक्षा की कापियों के जांचकर्ता की सूचना कैसे सार्वजनिक हुई?
- प्रवेश परीक्षा के अंक विभागाध्यक्षों को कैसे मिले? जिसके आधार पर उन्होंने ये तय किया कि किसे साक्षात्कार में ज्यादा अंक दिए जाएं और किसे कम?
इन सब मुद्दों से इनकी विश्वसनीयता संदेह के घेरे में है.
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अनशन का आज चौथा दिन, बिना जांच के जारी हो सकता है परिणाम
छात्रों के अनशन का आज चौथा दिन है. आज भी छात्रों ने आरोपों को दोहराते हुए कहा कि प्रशासन पूरी तरह से धांधली करने वालों से घिरा हुआ है और सब एक-दूसरे को बचाने पर लगे हुए हैं. जब उनसे जनसंचार विभाग की धांधली के जांच के बारे में पूछा जाता है तो वो जोर देकर कहते हैं कि आंतरिक लोग ही जांच करेंगे और उसी धांधली वाले परिणाम को सही बताते हुए जारी कर देंगे.
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अभी तक कोई सांत्वना नहीं…
अनशन पर बैठे छात्रों ने बताया कि कोई भी ईमानदार आदमी अभी तक ये कहते हुए नहीं मिला कि आरोपों की जांच की जाएगी और उसकी निष्पक्षता के लिए पूरी पारदर्शिता रहेगी.
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