Monday , 29 April 2024

छात्रों का अनशन लगातार तीसरे दिन, आरटीआई का जवाब देेने से कतरा रहा प्रशासन

एनटी न्यूज़ डेस्क / वर्धा

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विवि वर्धा का प्रशासनिक रवैया छात्रों के अनशन के तीसरे दिन भी नरम नहीं हो रहा है. पीएचडी के साक्षात्कार में हुई धांधली के विरोध में अनशन पर बैठे छात्रों की मांगों को अनसुना किया जा रहा है. अनशन पर बैठे छात्रों ने कहा कि हर वर्ष केवल जनसंचार विभाग के साथ ही ऐसा किया जाता है?

जनसंचार के विभागाध्यक्ष पर लगाया धांधली का आरोप

छात्रों ने आरोप लगाते हुए कहा कि जनसंचार के विभागाध्यक्ष ने कुलसचिव के आदेश तथा दी गई समय सारणी को दरकिनार करते हुए साक्षात्कार के लिए निर्धारित समय के शुरू होने के पहले ही संपन्न करा दिया साथ ही पीड़ित छात्रों ने कहा कि जिन छात्रों का कोलकाता सेंटर में साक्षात्कार देने के लिए जारी लिस्ट में नाम नहीं था उनका अचानक से बिना क्रमवार के ही वर्धा से कोलकाता कैसे स्थानांतरण हो जाता है?

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जांच पूरी होने तक विभागाध्यक्ष व केंद्र प्रभारी रहें निलंबित

छात्रों ने यह मांग की कि इस संबंध में जल्द से जल्द जांच हो और जब तक यह जांच संपन्न न हो जाय तब तक केंद्र प्रभारी कोलकाता और विभागाध्यक्ष जनसंचार का तत्काल प्रभाव से निलंबन होना चाहिए.

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प्रशासनिक भवन के सामने अनशन करते छात्र

पैसे का लेनदेन कर अधिक नंबर देने का लगाया आरोप

बता दें कि पीड़ित छात्र आज लगातार तीसरे दिन भी विवि प्रशासनिक भवन में अनशन में बैठे हुए हैं फिर भी विवि प्रशासन उनकी बातों को अनसुना कर रहा है. छात्र यह आरोप भी लगा रहे हैं कि प्रतिभाओं को बिना परखे सांठ-गांठ और पैसे का लेन-देन कर दूसरे छात्रों को साक्षात्कार में 25 में से 20 – 22 अंक देकर उत्तीर्ण कर दिया गया जबकि मेधावी छात्र जिनकी विभागाध्यक्ष तक कोई पहुंच नहीं थी, उनसे साक्षात्कार में मामूली प्रश्न पूछकर केवल 3 अंक देकर फेल कर दिया जाता है.

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मेधावियों के साथ देश से भी खिलवाड़

अनशन पर बैठे विद्यार्थी निष्पक्ष जांच की मांग लगातार कर रहे हैं लेकिन प्रशासन के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है. कोई भी जांच निर्दोष को दोषी सिद्ध नहीं करती है. ऐसे में जब विवि प्रशासन और उसकी कार्य प्रणाली यदि स्वच्छ है तो फिर विश्वविद्यालय प्रशासन जांच से क्यों भाग रहा है? यह प्रश्न भी विद्यार्थी उठा रहे हैं.

विश्वविद्यालय स्तर पर इतनी बड़ी धांधली यदि साबित हो जाती है तो शिक्षा जैसे क्षेत्र में इस गंदगी को साफ करने पर विचार करना ही होगा. हिंदी विवि का जांच से कन्नी काटना उसकी विश्वसनीयता और निष्पक्षता पर सवाल खड़ा हो रहा है.

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