एनटी न्यूज / उत्तराखंड
एक तरफ शादी की तैयारियां चल रही थी. शादी के कार्ड बांटे जा रहे थे. दूसरी तरफ मेजर साहब आईईडी डिफ्यूज करने के लिए कूद गए. क्योंकि देश सबसे महत्वपूर्ण है उसके बाद अपनी जान. आईईडी डिफ्यूज नहीं हुआ. वह फट गया और उसी के साथ हमारे देश ने एक बहादुर जाबांज मेजर को खो दिया और उधर कईयों की उम्मीद व आसरा छिन गया.
आईईडी को कर रहे थे डिफ्यूज…
देहरादून निवासी मेजर चित्रेश सिंह कश्मीर के राजौरी में आईईडी धमाके में शहीद हो गए. धमाका उस वक्त हुआ जब वे आईईडी को डिफ्यूज कर रहे थे. मेजर चित्रेश भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से वर्ष 2010 में पासआउट हुए थे.
वर्तमान में वह सेना की इंजीनियरिंग कोर में थे. वे उत्तराखंड पुलिस के सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर एसएस बिष्ट के बेटे थे. उनकी शहादत की सूचना मिलते ही परिवार में शोक की लहर दौड़ गई. गमगीन परिवार को ढांढस बंधाने के लिए उनके घर पर लोगों का तांता लग गया.
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बंट चुके थे शादी के कार्ड…
शहीद मेजर चित्रेश का परिवार राजधानी के नेहरू कॉलोनी क्षेत्र में रहता है. मूल रूप से एसएस बिष्ट रानीखेत के पीपली गांव के रहने वाले हैं. परिवार के लोगों ने बताया कि मेजर चित्रेश की सात मार्च को शादी होने वाली थी. इसके लिए शादी के निमंत्रण पत्र भी बंट चुके थे.
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शनिवार को भी एसएस बिष्ट अपने पैतृक गांव शादी के कार्ड बांटने गए थे. वहां से लौटकर आए तो शाम करीब साढ़े पांच बजे एसएस बिष्ट के फोन पर मेजर चित्रेश के साथी का फोन आया. एसएस बिष्ट फोन नहीं उठा सके तो उनकी पत्नी के फोन पर कॉल आई. साथी ने उनसे कहा कि चित्रेश की तबीयत खराब है. इस पर वे घबरा गईं और फोन रख दिया. एसएस बिष्ट को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने चित्रेश के साथी को फोन कर बात सच-सच कहने को कहा, उसके बाद साथी ने उन्हें चित्रेश के शहीद होने की खबर बताई.