“इरफान खान निधन” ये वो वक़्त था जब “गमछा” मेरे प्रिय अभिनेता के गले था: नीलोत्पल मृणाल

एनटी न्यूज़डेस्क/लखनऊ

दिल पर राज करने वाले फिल्म अभिनेता इरफान खान का बुधवार को निधन हो गया। इरफान काफी लंबे वक्त से बीमार थे और बीते दिनों ही उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इस दिग्गज कलाकार के जाने से बॉलीवुड सहित पूरे देश में शोक का माहौल है। वहीं ‘डार्क हॉर्स’ और ‘औघड़’ जैसी पुस्तकों से युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजे गए युवा साहित्यकार “नीलोत्पल मृणाल”  “इरफान खान” के निधन के बाद अपने शोसल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की जिसे काफी शेयर किया जा रहा है।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=3087227874678125&id=100001728272681

ये वो वक़्त था जब “गमछा” मेरे प्रिय अभिनेता के गले था।

आज मन भारी है। गली-गली ऐक्टिंग सीखाने वाले धंधे के बीच ‘अभिनय का एक मान्यता प्राप्त विश्विविद्यालय’ सदा के लिये बंद हो गया। मुझे बहुत कुछ याद आ रहा। मुझे पूरे होशो-हवास में ये याद है कि मैनें इसी दिन इसी मास्टर हीरो को जब गले में गमछा लिए देखा तो खयाल आया कि – “आम सा दिखना कितना खास है”।

अगर कोई मुझसे पूछे कि गले में गमछा रखना किससे सीखा? तो साला एकदम सच बोल रहा हूँ,कसम से,वो यही प्रिय हीरो है मेरा। यही वो दिन और मंच था जिससे उतरने के बाद मैने अक्सर ये सपना देखा कि एक दिन ऐसा बनना है,ऐसा दिखना है,ऐसा होना है।यही वो दिन था और यही वो आदमी जिसको देख पहली बार सच में अंदर से इस बात ने उछाल मारा था और मैनें अपने मित्र जय गोविंद सिंह से कहा था कि “साला कुछ बनना बा हो”। मैं भले कुछ बन न सका,लेकिन ये इस आदमी के प्रतिभा की लौ थी जो हर कोई इसे देख अपने अंदर कुछ करने का ताप महसूस करने लगता। एक बात,मुझे ही नहीं बल्कि शायद उस दिन jnu के ओपेन थिएटर में मौजूद हर व्यक्ति को याद होगी कि इरफ़ान एक-एक कर किसी न किसी से पर्चे पे प्रश्न मांग रहे थे।

मुझे याद है कि मैने किसी का सुना/जोड़ा तोड़ा ये शेर पर्चे पे लिख के बढ़ाया था- तेरी यादों को इस तरह गले से लगाया मैनें कोई मौसम हो ये मफलर नहीं हटाया मैंने।। इरफ़ान ने मुस्कुराते हुए वो परचा जब पढ़ा तो मुझे लगा कि फिल्म फेयर अवार्ड मिल गया हो। उस दिन अपनी मामूली सी मंचीय उपस्थिति उपरांत मंच से उतर कर आने वाला ये ‘मामूली लड़का’ इतना ज्यादा आत्मविश्वास से भर गया था कि अब ‘मुझ’ मामूली से लड़के को हमेशा लगने लगा कि कुछ बड़ा कर जाना है,कर जाऊँगा। वो सपना आज भी देखता हूँ और ये बात बार-बार याद आ रही है कि ठीक इसी दिन के बाद ये सब सपना देखना शुरु किया था। इसके पहले भी सपना तो था,लेकिन वही ias बन जाते,ias बन जाते।

लेकिन एक शख्सियत कैसे आपको प्रभावित कर आपके सपने बदल लेता है”मेरे लिये वो हीरो हैं इरफ़ान खान” एक आदमी जो आपको नए सपने देखने को प्रेरित कर दे,आपका हीरो वही होता है। मैं ये सब कुछ नहीं लिखता,लेकिन अभी जब अपने पिता को मैनें इरफ़ान के निधन की खबर पे चौंक के उदास होते देखा तब मैं लगातार सोचने लगा कि आखिर इस अभिनेता से क्या जुड़ाव है मेरा? मुझे सब याद आने लगा।मेरे गाँव के घर में भी तो ये फ़ोटो अलमारी में रखी हुई है।मैनें यहीं घर ही में तो न जाने एक छोटी सी मुलाकात के कितने बड़े बड़े किस्से सुनाये थे गाँव में,घर में,दोस्तों से। अब तो मुझे ये भी याद आता है कि मुखर्जी नगर(गाँधी विहार) में उस दिन दोस्तों संग रात भर में पान सिंह तोमर देख,उसपे कई व्यंग्य और चुटकुले बना के गया था मैं उस दिन। ये सोच कर कि मंच पे इरफ़ान को सुनाऊंगा।

अपने गुरुदेव रजनीश सर से कई बातें कर तैयार हो गया था। मंच पे अन्य महत्वपुर्ण लोगों की मौजूदगी से हुए समयाभाव के कारण मुझे उस दिन तो ये मौका नहीं मिला, लेकिन मैं सोचता था कि कभी तो फिर मिलूँगा ही इरफ़ान से। लेकिन नहीं पता था कि जिंदगी साली ह्च का छोटा रीचार्ज है।हम साला अपनी पूरी बात भी न सुना सके अपने अनकहे उस्ताद को। । । और रीचार्ज खतम। लेकिन एक बार फिर एक परचा बढ़ा रहा हूँ अपने इस प्रिय अभिनेता और प्रेरक के लिये और इस बार ये पर्चा मैं जब खुद पढ़ रहा हूँ- तेरे नाम का गीत रंगमंच गाता रहेगा कोई मंच हो ये गमछा लहराता रहेगा।। तो मेरी आँखें नम हैं। अंतिम विदा अभिनेता। जय हो।

नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं। इस कंटेन्ट को उनके शोसल मीडिया प्लेटफॉर्म से लिया गया है।  

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