MSC ELSA-3 खतरनाक केमिकल्स और ईंधन से समुद्र में बढ़ा संकट, सरकार ने जारी की चेतावनी |

MSC ELSA-3 खतरनाक केमिकल्स और ईंधन से समुद्र में बढ़ा संकट, सरकार ने जारी की चेतावनी

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केरल के विझिंजम बंदरगाह से रवाना हुआ लाइबेरियाई मालवाहक जहाज MSC ELSA-3, 25 मई को कोच्चि तट के पास डूब गया। जहाज पर मौजूद 640 कंटेनर्स में से कई में खतरनाक रसायन और भारी मात्रा में ईंधन मौजूद था, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। भारतीय तटरक्षक बल के अनुसार, जहाज के होल्ड में पानी भरने के कारण वह असंतुलित होकर पलट गया और अंततः समुद्र में समा गया।

 

दुनिया की बड़ी कंपनियों मे है शुमार

MSC ELSA-3 को वर्ष 1997 में तैयार किया गया था। यह जहाज 183 मीटर लंबा और 25 मीटर चौड़ा था, यानी यह दो फुटबॉल मैदानों जितना बड़ा था। इसका संचालन दुनिया की सबसे बड़ी कंटेनर शिपिंग कंपनी Mediterranean Shipping Company (MSC) द्वारा किया जा रहा था, जिसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है। नवंबर 2024 में मैंगलोर बंदरगाह पर हुए निरीक्षण में इसमें पाँच खामियाँ पाई गई थीं, लेकिन इसके बाद भी यह सेवा में रहा।

 

MSC Elsa डूबने की जांच में लाइबेरिया ने नहीं किया सहयोग, भारत ने शुरू की स्वतंत्र जांच

केरल के तट पर डूबे लाइबेरियाई रजिस्टर्ड कंटेनर जहाज MSC Elsa के मामले में अब अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मोड़ आ गया है। लाइबेरिया सरकार ने इस घटना की जांच में सहयोग देने से इनकार कर दिया है, जिससे भारत सरकार ने इस दुर्घटना की स्वतंत्र और गहन जांच शुरू कर दी है।

 

लाइबेरिया ने क्यों खींच लिए हाथ?

अंतरराष्ट्रीय समुद्री नियमों के अनुसार, यदि किसी देश के झंडे वाले जहाज से हादसा होता है, तो उस देश की सरकार को जांच में सहयोग करना होता है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक, लाइबेरिया ने भारत को अब तक कोई औपचारिक जानकारी या सहायता उपलब्ध नहीं कराई है। इस रवैये से भारत ने चिंताएं जताई हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा, समुद्री पर्यावरण और मानव जीवन को देखते हुए अपनी स्वतंत्र जांच शुरू कर दी है।

 

भारत की स्वतंत्र जांच में क्या होगा?

भारत सरकार के निर्देश पर भारतीय तटरक्षक बल (ICG), भारतीय नौसेना, और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसियां (NDMA) मिलकर इस हादसे के कारणों, पर्यावरणीय प्रभाव और जिम्मेदारी तय करने के लिए डेटा इकट्ठा कर रही हैं। समुद्र में फैले कंटेनर्स की स्थिति, संभावित रासायनिक रिसाव, और तेल फैलाव के खतरे को लेकर भी लगातार निगरानी की जा रही है।

यह लोग जहाज पर थे मौजूद

जहाज में 24 क्रू मेंबर मौजूद थे

1 रूसी कप्तान

1 यूक्रेनी

2 जॉर्जियाई

20 फिलीपीन्स के नागरिक

तटरक्षक बल ने समय रहते सभी को सुरक्षित निकाल लिया।

कंटेनरों में क्या था?

भारत के रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की कि जहाज में कुल 640 कंटेनर थे, जिनमें से:

13 कंटेनरों में खतरनाक रसायन

12 कंटेनरों में कैल्शियम कार्बाइड

इसके अलावा 84.44 मीट्रिक टन डीजल और 367.1 मीट्रिक टन फर्नेस ऑयल जहाज के टैंकों में मौजूद था.
इनमें से कुछ कंटेनर समुद्र में बहते हुए तटवर्ती इलाकों तक पहुँच चुके हैं।

 

कैल्शियम कार्बाइड कितना खतरनाक?

कैल्शियम कार्बाइड एक औद्योगिक रसायन है, जिसका उपयोग एसिटिलीन गैस बनाने और फलों को कृत्रिम रूप से पकाने में होता है।
जब यह पानी से संपर्क करता है, तो यह अत्यधिक ज्वलनशील एसिटिलीन गैस छोड़ता है, जो मामूली चिंगारी से भी विस्फोट कर सकती है।
इसके साथ बनने वाला कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड समुद्र के पानी का pH असंतुलित कर देता है, जिससे समुद्री जीवन को गहरा नुकसान हो सकता है।

तेल रिसाव की आशंका और प्रभाव

डूबे जहाज में मौजूद ईंधन समुद्र में मिलने से गंभीर खतरे उत्पन्न हो सकते हैं.

1. मरीन गैस ऑयल (डीजल) यह पानी की सतह पर फैलकर ऑक्सीजन को रोकता है, जिससे मछलियों और कोरल को नुकसान होता है। INCOIS के अनुसार, रिसाव 48 घंटों में कोल्लम, एर्नाकुलम और तिरुवनंतपुरम तक पहुँच सकता है।

2. फर्नेस ऑयल -यह भारी ईंधन समुद्र की सतह से नीचे जाकर तलछट में जमा हो सकता है, जिससे समुद्री पौधों और जीवों पर लम्बे समय तक बुरा असर पड़ेगा।

सरकार ने जारी की चेतावनी

केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (KSDMA) ने तटीय इलाकों में चेतावनी जारी कर दी है। मछुआरों को समुद्र से दूर रहने और कंटेनर या तेल जैसे पदार्थों को न छूने की सलाह दी गई है।

 

सफाई के उपाय

तेल और रसायन के फैलाव को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने कई उपाय लागू किए हैं.

1. Boom Barriers फैलाव को रोकने के लिए समुद्र में विशेष तैरती हुई बाधाएं डाली गई हैं।

2. Skimmers सतह से तेल निकालने के लिए मशीनें लगाई गई हैं।

3. Dispersants रसायन डालकर तेल को छोटे कणों में तोड़ा जा रहा है।

4. Oil-burning यदि संभव हो तो समुद्र पर ही तेल जलाया जाएगा।

5. Absorbents & Bioremediation – जैविक तरीके जैसे तेल खाने वाले बैक्टीरिया का उपयोग अंतिम उपाय के तौर पर किया जाएगा।

अगर तेल और केमिकल का रिसाव हुआ तो क्या होगा?

1. समुद्री जीवन को खतरा डॉल्फ़िन, कछुए, मछलियाँ, पक्षी सभी प्रभावित हो सकते हैं।

2. इकोलॉजी का संतुलन बिगड़ेगा, कोरल रीफ्स, समुद्री पौधों की वृद्धि रुक सकती है।

3. मानव जीवन पर असर टूरिज्म, मछलीपालन प्रभावित होगा और स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ेगा।

पहले भी हुई है इस तरह की घटना

दुनिया में ऐसे कई उदाहरण हैं जब जहाजों के डूबने से समुद्री प्रदूषण और भारी नुकसान हुआ। तेल रिसाव की घटनाएँ लाखों जीवों की मौत और अरबों डॉलर की क्षति का कारण बनी हैं। MSC ELSA-3 का डूबना केवल एक समुद्री दुर्घटना नहीं, बल्कि एक पारिस्थितिकीय संकट है। इस घटना से यह स्पष्ट हो जाता है कि समुद्री परिवहन में सुरक्षा मानकों की अनदेखी कितनी महंगी पड़ सकती है। अब ज़रूरत है कि सरकार, इंडस्ट्री और समाज मिलकर समुद्र की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएँ।

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