सुप्रीम कोर्ट ने कहा जस्टिस लोया मामले में करें गंभीरता से विचार

एनटी न्यूज़ डेस्क/ सुप्रीम कोर्ट

मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश बीएच लोया की मौत के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मामले को लेकर बहुत गंभीर है. अदालत के बाहर इस मामले में क्या कहा जा रहा है, इसकी परवाह किए बगैर गंभीर मुद्दे की तरह लेकर इस पर विचार किया जा रहा है.

इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने मामले पर अपनी बहस पूरी करते हुए कहा कि न्यायाधीश लोया की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी और सरकार ने जांच कर ली है. उसे मौत के बारे में किसी तरह का कोई संदेह नहीं है.

बहस के दौरान वकीलों में हुई नोकझोंक

बहस के दौरान सोमवार को भी वकीलों में नोकझोंक हुई. महाराष्ट्र सरकार ने मौत पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं और पत्रिका में आए लेख को इरादतन दुर्भावना से प्रेरित बताया.

याचिकार्ताओं के वकील दुष्यंत दवे ने इसका विरोध करते हुए उन पर दबाव बनाए जाने का आरोप लगाया. यही नहीं दवे ने बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआई) की ओर से जारी किए गए मिसकंडक्ट नोटिस का हवाला दिया. बीसीआई विधायी संस्था है जो कि सरकार के नियंत्रण में है.

मुकुल रोहतगी ने दबाव के आरोप का खंडन

न्यायाधीश बीएच लोया

इस केस में पेश होने के बाद उन पर दबाव बनाया जा रहा है. हालांकि वकील मुकुल रोहतगी ने दबाव के आरोप का खंडन करते हए कहा कि वह महाराष्ट्र की ओर से पेश हो रहे हैं और बीसीआई महाराष्ट्र सरकार के नियंत्रण में नहीं है.

हालांकि उन्होंने यह बात कई बार दोहराई कि न्यायाधीश लोया की मौत के सिलसिले में पत्रिका कारवां में गत वर्ष नवंबर में लेख छपना सोची समझी बात थी.

उन्होंने कहा कि आखिर तीन साल बाद याचिकाएं क्यों दाखिल हुईं? यह भी सोचने वाली बात है. उधर वकीलों पर दबाव बनाए जाने की जब बात चल रही थी तभी महाराष्ट्र के पत्रकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील पल्लव सिसोदिया खड़े हो गए. उन्होंने दुष्यंत दवे पर आरोप लगाया कि वह उन पर दबाव बना रहे हैं.

बीसीआई के नोटिस के आधार पर दबाव

इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि दवे बीसीआई के नोटिस के आधार पर दबाव बनाने की शिकायत कर रहे हैं और आप दवे पर दबाव बनाने की शिकायत कर रहे हैं.

मुख्य न्यायाधीश ने दवे से कहा कि वह बीसीआई के नोटिस के बारे में कोई टिप्पणीं नहीं करेंगे. कोर्ट ने दवे से कहा कि वह बिना किसी दबाव के मामले में बहस करें.

कोर्ट पूरी संजीदगी से सुनवाई कर रहा है और यह उनकी ड्यूटी है. कोर्ट ने कहा कि अगर मामले में संदेह पैदा करने वाले कोई तथ्य सामने आता है तो कोर्ट उस बारे में आदेश दे सकता है.

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