एनटी न्यूज़ डेस्क/ राजनीति
इतिहास के पन्नों को पलटते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कांग्रेस को भारत-पाकिस्तान विभाजन का जिम्मेदार ठहराया. नेशनल कांफ्रेस नेता ने कहा कि दुनिया कहती है कि जिन्ना ने पाकिस्तान का गठन किया, लेकिन यह सही नहीं है. पंडित जवाहर लाल नेहरू के कारण भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान का जन्म हुआ.
एक कार्यक्रम में बोले पूर्व मुख्यमंत्री
चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू की ओर से चैंबर हाउस में आयोजित कार्यक्रम में फारूक ने कहा कि देश को आजादी मिलने के बाद जब अलग मुस्लिम राष्ट्र के गठन का मुद्दा उठा तो एक कमीशन बना जिसने भारत को विभाजित करने की बजाय अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार देने की सिफारिश की.
फारूक ने कहा कि जिन्ना ने कमीशन का यह प्रस्ताव मान लिया. पाकिस्तान बनाने से पीछे हट गए, लेकिन जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल व मौलाना आजाद को यह मंजूर नहीं था. इसी कारण भारत का विभाजन हुआ.
फारूक ने कहा कि उस समय जो नफरत के बीज बोये गए, उसकी कीमत देश आज तक चुका रहा है, लेकिन कब तक धर्म, जाति व क्षेत्र के आधार पर हम लोगों को बांटते रहेंगे?
भाजपा-पीडीपी पर साधा निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के साथ भाजपा-पीडीपी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि राजनीतिक पार्टियां कुर्सी बचाने के लिए लोगों को धर्म व क्षेत्र के आधार पर बांट रही हैं. कश्मीर में पीडीपी ‘अल्ला’ के नाम पर वोट मांग रही है तो जम्मू में भाजपा ‘राम’ के नाम पर.
कार्यक्रम में मौजूद जम्मू के उद्योगपतियों व व्यापारियों से ‘धर्म’ से ऊपर उठकर सोचने की अपील करते हुए फारूक ने कहा कि जब ‘ऊपर वाले’ ने इंसान बनाते समय फर्क नहीं किया तो हम धर्म के नाम पर लोगों को बांटने वाले कौन होते है?
धर्म की राजनीति हो रही है तेज
फारूक ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व अचानक धर्म की राजनीति तेज हो गई है और लोगों को धर्म के नाम पर बांटा जा रहा है, लेकिन फारूक ने कभी ऐसी राजनीति नहीं की और भविष्य में भी कभी नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा की हिन्दू मुझे मुस्लिम तो मुस्लिम मुझे काफिर मानते हैं. असल में आए दिन ‘राम’ के भजन गाकर चर्चा में आने वाले पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि वह टोपी पहनते है और उनका धर्म मुस्लिम है.
इसलिए हिन्दू उन्हें मुस्लिम मानते हैं, लेकिन वह राम के भजन गाते है क्योंकि उन्हें दिल से राम से लगाव है. इसलिए मुस्लिम उन्हें काफिर मानते हैं, लेकिन उनका सबसे बड़ा धर्म इंसानियत है और इसके लिए उन्हें किसी के प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं.