एनटी न्यूज़ डेस्क/ व्यापार
अमेरिका से ट्रेड वॉर के बीच चीन ने व्यापार घाटे पर भारत की चिंताओं को सुलझाने का वादा किया है. वह अपने बाजारों को भारतीय चावल, सोयाबीन, सफेद सरसों, फल-सब्जी और चीनी के लिए खोलेगा. भारत चीन से जितना आयात करता है, उस मुकाबले निर्यात बहुत कम है. इस कदम से दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते और मजबूत होंगे.
भारत दौरे पर हैं चीन के वाणिज्य मंत्री झोंग शान
भारत दौरे पर आए चीन के वाणिज्य मंत्री झोंग शान ने यह वादा सोमवार को भारत-चीन जॉइंट ग्रुप की बैठक में किया. दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्तों, व्यापार, विज्ञान और टेक्नोलॉजी पर बने इस ग्रुप का गठन दिसंबर 1988 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी की बीजिंग यात्रा के समय किया गया था.
बैठक में वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत चीन को हाई क्वालिटी की दवाओं, आईटी और आईटीईएस सेवाओं का भी निर्यात कर सकता है. दोनों देश टूरिज्म और हैल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा सकते हैं. यह जानकारी वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से दी गई.
चीन को निर्यात करने में भारत 24वें नंबर पर
चीन को निर्यात के मामले में भारत 24वें नंबर पर है., चीन के लिए भारत सातवां सबसे बड़ा एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन बन चुका है. यानी भारत को सामान बेचने के मामले में चीन काफी आगे है. यही भारत के लिए चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ने का मुख्य कारण है.
वर्ष – व्यापार घाटा
2015-16 – 3.31 लाख करोड़ रु.
2016-17 – 3.42 लाख करोड़ रु.
2017-18 – 2.38 लाख करोड़ रु.
(2017-18 के आंकड़े अक्टूबर तक के)