ढाई महीने पहले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्र की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाले जस्टिस जे. चेलमेश्वर फिर से भड़क गए हैं. इस बार उन्होंने सरकार और न्यायपालिका के बीच कथित दोस्ती पर एतराज जताते हुए इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया है. सरकार की चिट्ठी पर सक्रिय हुए कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का मामला उठाते हुए उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. उन्होंने न्यायिक नियुक्ति में सरकार की दखलअंदाजी पर फुल कोर्ट में विचार किए जाने की मांग की है. उन्होंने अपने इस पत्र की कॉपी सुप्रीम कोर्ट के अन्य 22 जजों को भी भेजी है.
एक हफ्ते पहले भेजा था पत्र
बीते 21 मार्च को भेजे गए पांच पेज के पत्र में जस्टिस चेलमेश्वर ने कानून-मंत्रालय की चिट्ठी पर कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दिनेश महेश्वरी के जिला जज कृष्ण भट्ट के खिलाफ जांच शुरू करने पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम जस्टिस भट्ट को हाई कोर्ट में प्रोन्नत करने की सरकार से सिफारिश कर चुका था.
सरकार भट्ट के नाम की सिफारिश को दबा कर बैठ गई और सिफारिश का पुन: आकलन करने के लिए कनार्टक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सीधे पत्र लिख दिया. उस पर मुख्य न्यायाधीश दिनेश महेश्वरी ने कार्रवाई की. भट्ट को जांच में निदरेष पाए जाने के बाद कोलेजियम ने उन्हें प्रोन्नत किए जाने की सरकार से सिफारिश की थी, लेकिन सरकार ने सिफारिश दबा ली.
अन्य पांच जो कि भट्ट से जूनियर थे, को प्रोन्नत कर दिया. सरकार को भट्ट के नाम पर आपत्ति थी तो वह कोलेजियम को दोबारा विचार के लिए भेज सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कई बार का अनुभव है कि सरकार कोलेजियम की सिफारिश अपवाद के तौर पर मंजूर करती है.
जो जज काबिल होते हैं, लेकिन सरकार को असुविधाजनक लगते हैं, इसमें छूट जाते हैं. दीपक मिश्र दो अक्टूबर को रिटायर होंगे. उसके बाद जस्टिस रंजन गोगोई अगले सीजेआइ होंगे, क्योंकि दूसरे नंबर के जज चेलमेश्वर जून में ही रिटायर हो जाएंगे.
जस्टिस चेलमेश्वर के पत्र का अंश
हम सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों पर आरोप लगते हैं कि हमने कार्यपालिका के सामने अपनी संस्थागत स्वायत्तता और गरिमा खो दी है. लेकिन, बेंगलुरु से किसी ने हमें रसातल में जाने की दौड़ में हरा दिया है. कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हमारी पीठ पीछे सरकार के आदेश पर काम करने के बहुत इच्छुक हैं.
पहले भी अपनाया था बागी रुख
न्यायपालिका का संकट फिलहाल खत्म नहीं हो रहा है. और उसके आधार पर राजनीति भी गरमाती जा रही है. इससे पहले जस्टिस चेलमेश्वर की अगुआई में ही चार जजों ने मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ बगावत किया था. विपक्ष उसे आधार बनाकर जस्टिस मिश्र पर महाभियोग की तैयारी में है. अब यह नया मामला मुद्दे को और गरमा सकता है.
कोलेजियम ने बदली परंपरा
अपारदर्शिता की शिकायतें दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने वर्षो पुरानी परंपरा को तोड़ दिया है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र, जस्टिस जे. चेलमेश्वर और रंजन गोगोई के कोलेजियम ने कलकत्ता और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में स्थायी जजों के तौर पर नियुक्ति की सिफारिश वाले 12 वकीलों व जजों से बात की और छांटे हुए उम्मीदवारों से अनौपचारिक साक्षात्कार कर इतिहास रच दिया है.