संसद के बजट सत्र में बने रिकॉर्ड, 250 घंटे बर्बाद और नहीं हुआ कोई काम

संसद के बजट सत्र का दूसरा पड़ाव हंगामे की भेंट चढ़ गया. संसद के दोनों सदनों में इस दौरान काम-काज कम और हंगामा ज्यादा हुआ. इससे करीब 250 घंटे बर्बाद हुए. संसद नहीं चलने से देश के 190 करोड़ रुपये बर्बाद हो गए. हंगामे की यह शुरुआत बजट सत्र के दूसरे पड़ाव के आरंभ से हुई, जो अंतिम दिन यानी शुक्रवार को दोनों ही सदनों के अनिश्चितकाल तक स्थगित होने तक जारी रही. इसके चलते लोकसभा में सिर्फ चार फीसद काम हुआ, जबकि राज्यसभा में आठ फीसद काम-काज हुआ.

जिसके कारण हंगामा बरपा, उसपर भी नहीं हुई चर्चा

हंगामे के कारण विपक्ष द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव पर भी लोकसभा में चर्चा नहीं हो सकी. पिछले 18 साल में यह संसद के भीतर सबसे कम काम-काज का रिकार्ड रहा है. इससे पहले वर्ष 2000 में इससे कम काम-काज हुआ था.

बजट सत्र के पहले चरण में लोकसभा में जहां 134 फीसद काम हुआ था, वहीं राज्यसभा में भी 96 फीसद काम हुआ था. लेकिन पांच मार्च को शुरू हुए दूसरे सत्र में विपक्ष ने कोई काम-काज नहीं होने दिया.

यह स्थिति तब थी, तब देश के हित से जुड़े कई जरूरी विधेयक दोनों सदनों में लंबित थे. उन पर चर्चा होनी थी. कुल मिलाकर पूरे बजट सत्र में लोकसभा में 23 फीसद और राज्यसभा में 28 फीसद ही काम-काज हुआ है.

इन प्रमुख मुद्दों पर हुआ हंगामा

संसद के दोनों सदनों में जिन प्रमुख मुद्दों को लेकर कांग्रेस और विपक्षी दलों ने हंगामा किया, उनमें नीरव मोदी के बैंक घोटाले का मामला, आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने का मामला, कावेरी नदी जल विवाद, एससी-एसटी एक्ट, यूपी के कैराना जैसे मुद्दे रहे.

बजट समेत पांच विधेयक ही पारित हो सके

सबसे महत्वपूर्ण वित्त विधेयक 2018 (बजट) समेत सिर्फ पांच विधेयक ही पारित हो सके. बजट के लिए यह सत्र मुख्य रूप से बुलाया जाता है. बजट के अलावा अन्य विधेयकों में ग्रेच्युटी भुगतान संशोधन विधेयक 2017, विशेष राहत संशोधन विधेयक 2017 भी पारित हुए.

हम सबने बहुत कुछ खोया : नायडू

राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सदन में वक्त की बेइंतहा बर्बादी पर खेद जताते हुए कहा, विभिन्न वर्गो के बीच संवाद फेल रहा. इसी वजह से गतिरोध इतना लंबा चला.

गौरवशाली संसदीय लोकतंत्र के लिए यह अच्छा नहीं है. हम सबने और सबसे अहम देश की जनता ने वक्त खोया है. वहीं लोकसभा स्पीकर सुमित्र महाजन ने सांसदों को व्यापक देशहित को ध्यान में रखने की सीख दी.

लोकसभा में कितनी बर्बादी

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29 बैठकों में कुल 34 घंटे पांच मिनट कार्यवाही हुई.

127 घंटे 45 मिनट कुल मिलाकर हंगामे और जबर्दस्ती कार्यवाही में खत्म हुए.

9 घंटे 47 मिनट में सरकार में अर्जेट कामकाज निपटाए जा सके.

580 तारांकित सवाल पूछे गए थे, लेकिन सिर्फ 17 के मौखिक जवाब दिए गए.

0.58 सवाल (आधे से कुछ ज्यादा) का ही हर रोज जवाब दिया जा सका.

6670 अतारांकित सवालों और शेष तारांकित सवालों के जवाब पटल पर रखे.1

रास का तीन चौथाई, वक्त हंगामे में जाया

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30 बैठकें हुईं दूसरे चरण में.

44 घंटे ही कार्यवाही चल सकी.

121 घंटे का वक्त बर्बाद हुआ.

27 दिन तक सदन में प्रश्नकाल नहीं हो सका.

लोकसभा और राज्यसभा की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, सिर्फ पांच विधेयक हो सके पारित

देश को उठाना पड़ा 190 करोड़ रुपये का नुकसान

अविश्वास प्रस्ताव तक पर नहीं हो सकी चर्चा