जजों की नियुक्ति पर सरकार-कोलेजियम में फिर तनातनी बढ़ सकती है. सरकार फिलहाल कर्नाटक के जज पी कृष्ण भट्ट की हाई कोर्ट में प्रोन्नति पर विचार करने के मूड में नहीं है. केंद्र का रुख साफ है कि जब तक महिला जज द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की निष्पक्ष जांच नहीं होगी तब तक उनकी प्रोन्नति पर विचार नहीं होगा.
केंद्र सरकार ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच पर बल दिया है. बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम भट्ट को हाई कोर्ट प्रोन्नत करने की दो बार सिफारिश कर चुका है.
न्यायाधीश चेलमेश्वर ने पहले ही उठाया था मामला
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जे चेलमेश्वर ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र को पत्र लिखकर जस्टिस भट्ट की प्रोन्नति का मुद्दा उठाया था. पत्र में कार्यपालिका पर कोलेजियम की सिफारिश दबाने और जज के खिलाफ दोबारा जांच के लिए सीधे कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखे जाने पर आपत्ति की गई थी.
उन्होंने इसे सरकार की न्यायपालिका में दखलंदाजी बताया था. चेलमेश्वर ने मामले को गंभीर बताते हुए मुख्य न्यायाधीश से इस पर फुल कोर्ट में विचार किए जाने की बात कही थी.
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी शिकायत भेजी
कानून मंत्रालय के उच्च पदस्थ लोगों से आ रही ख़बरों के अनुसार, महिला जज ने जब देखा कि मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो रही है, तो उसने गत दिसंबर में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी शिकायत भेजी थी.
दोनों जगहों की शिकायतें उचित कार्रवाई के लिए कानून मंत्रालय आई थीं. उन्हें तय प्रक्रिया के तहत कार्रवाई के लिए संबंधित हाई कोर्ट भेज दिया गया था, लेकिन, आज तक महिला जज को पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया.
पांच अप्रैल को कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने दीपक मिश्र को पत्र लिख कर जांच कराने की बात कही है. माना जा रहा है कि पत्र में कहा है कि जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता व न्याय का पालन करना कार्यपालिका-न्यायपालिका की साझी जिम्मेदारी है.
एमओपी फाइनल करने में सरकार कर रही है जवाब का इन्तजार
जजों की नियुक्ति प्रक्रिया के लिए एमओपी फाइनल करने में सरकार अब तक मुख्य न्यायाधीश के जवाब का इंतजार कर रही है.
केंद्र सरकार ने गत जुलाई में मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था. इसमें न्यायाधीशों की नियुक्ति के बारे में स्क्रीनिंग की प्रक्रिया के बारे में पूछा गया था. इसका अभी तक सरकार को जवाब नहीं मिला है.