एससी-एसटी एक्टः अगर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला नहीं बदला तो सरकार लाएगी अध्यादेश

दलित मुद्दे पर गरमाए माहौल और हमलावर विपक्ष को सरकार की तरफ से भी आक्रामक तेवर में ही जवाब दिया जाएगा. एक तरफ जहां दलित नेता मायावती के काल में एससी-एसटी एक्ट को शिथिल बनाए जाने को प्रचारित किया जाएगा. वहीं, संभव है कि सरकार की तरफ से एससी-एसटी एक्ट की तर्ज पर दूसरे मामलों में भी पुनर्विचार करने को कहा जाए.

सरकार ने क्या किया तय…

सरकार ने तय कर लिया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला नहीं पलटा तो अध्यादेश आएगा. कवायद यह है कि अगले दो-तीन महीने में सरकार फिर से यह स्थापित कर पाए कि विपक्ष केवल राजनीति कर रहा है, जबकि राजग सरकार दलितों के मुद्दे पर संवेदनशील है.

केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान का बयान बहुत कुछ कहता है. उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसने केवल एससी-एसटी एक्ट की प्रक्रिया में संशोधन किया है, जबकि अग्रिम जमानत की अनुमति देकर उसने कानून में ही बदलाव ला दिया है. हमारी आशा है कि कोर्ट इसे विशेष कानून की तरह देखे न कि सामान्य कानून की तरह.’

मंत्री समूह की हई बैठक…

दरअसल दो दिन पहले अनौपचारिक मंत्री समूह की बैठक में ही यह स्पष्ट हो गया था कि सरकार और सरकार के मंत्री खुले तौर पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से किए गए बदलाव से असहमति जताएंगे. यह भी तय हो गया कि सुप्रीम कोर्ट का नजरिया देखने के बाद अध्यादेश लाकर पुराना कानून ही स्थापित किया जाएगा.

इस बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, खाद्य मंत्री पासवान और सामाजिक अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत शामिल थे. बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से पहले ही इस मंत्री समूह को स्पष्ट निर्देश था.

इतना ही नहीं, बहुत जल्द कोर्ट के आदेश के बाद यूजीसी के उस निर्देश में भी बदलाव की कोशिश की जाएगी जिसमें आरक्षण के लिए इकाई विश्वविद्यालय को नहीं, विभाग को माना गया है. इससे दलितों और आदिवासियों के लिए आरक्षित नौकरी की संख्या कम होने की आशंका जताई गई है.

दलितों का भरोसा बरकार रखना चुनौतीपूर्ण

लोग बताते हैं कि मुद्दे बहुत हैं और जरूरत हुई तो सरकार धीरे-धीरे कदम भी बढ़ाएगी ताकि दलितों का यह भरोसा बरकरार रहे कि सरकार उनके लिए कार्यरत है.

प्रमोशन में आरक्षण भी एक मुद्दा है, जिसका सबसे ज्यादा मुखर विरोध सपा की ओर से होता रहा है. सपा और बसपा में गठजोड़ की संभावनाओं के बीच इसे भी परखा जा सकता है.

ध्यान रहे कि वैसे तो 14 अप्रैल से पांच मई के बीच होने वाले ग्राम सुराज कार्यक्रम में ही जनता तक कल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाने की कोशिश होगी, लेकिन अगले दो-तीन महीने में दलित से विशेष रूप से जुड़े मुद्दों पर सरकार कदम बढ़ाती दिखेगी.

दलितों के साथ कभी नहीं होगा अन्याय : पीएम

दलित राजनीति और विपक्ष के हमलों के बीच प्रधानमंत्री मोदी पलटवार के लिए शायद सही वक्त और सही मंच का इंतजार कर रहे थे.

बाबा साहेब आंबेडकर की याद में बनाए गए स्मारक का उद्घाटन करने के साथ ही मोदी ने दलितों और आदिवासियों को भरोसा दिलाया कि उनके साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा.

वहीं पीएम मोदी ने यह भी बताया कि कांग्रेस ने हर मोड़ पर आंबेडकर को धोखा दिया. अब उनके नाम की माला जप रही है तो मजबूरी में.

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