एनटी न्यूज डेस्क/ जालौन/ जितेंद्र सोनी
क्या ‘अपना दल’ की सभा छात्रों के भविष्य से ज्यादा महत्वपूर्ण है ? क्या जिस प्रांगण में बोर्ड परीक्षा हो रही है, वहां पर किसी राजनीतिक पार्टी की जनसभा होनी चाहिए ? क्या ये बच्चों की परीक्षा के बीच जानबूझकर व्यवधान डालने का मसला नहीं है ? ये सारे सवाल उत्तर प्रदेश के जालौन में हुए उस अजीबोगरीब वाकये से उठ रहे हैं, जिसमें बच्चों की बोर्ड परीक्षा वाले स्थान पर ही जनसभा करा दी गयी।
प्रदेश की योगी सरकार यूपी बोर्ड की परीक्षा को सकुशल संपन्न कराने का हर संभव प्रयास कर रही है। परीक्षार्थी को परीक्षा के समय किसी प्रकार की परेशानी न हो इस बात का भी ध्यान रखने के आदेश सरकार की ओर से दिए गए हैं लेकिन जालौन में एक बड़ी ही विचित्र स्थिति परीक्षा के दौरान सामने आई है। सोमवार को इंटरमीडिएट की संगीत और शिक्षाशास्त्र की परीक्षा थी।
जालौन का है मामला
जालौन के कौंच कस्बे के एसआरपी इंटर कॉलेज और एसटीके कन्या इंटर कॉलेज में परीक्षा चल रही थी लेकिन यह परीक्षा दूसरी परीक्षाओं से बिल्कुल अलग थी क्योंकि एसआरपी इंटर कॉलेज के प्रांगण में बीते सोमवार को अपना दल की जनसभा भी चल रही थी। अपना दल सोमवार को छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित कर रहा था और इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल थी।
एक ओर परीक्षा, एक ओर जनसभा
एक ओर सोमवार को 2:00 बजे से 5:00 बजे तक परीक्षार्थी लाउडस्पीकर की आवाज के बीच एग्जाम दे रहे थे। वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय राज्य मंत्री जनसभा को संबोधित कर रही थी। ऐसे में परीक्षार्थियों के लिए आज का यह पेपर किसी चुनौती से कम नहीं था।
कोई सुनवाई नहीं हुई
इस मामले में एसटीके कॉलेज के प्राचार्य ने कहा कि हमने एसडीएम महोदय से लाउडस्पीकर के सम्बन्ध में शिकायत भी की थी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वही इस पूरे मामले में उपजिलाधिकारी कोच ने कहा कि जनसभा स्थल के लाउडस्पीकर को कम करने के लिए कहा गया था।
जानबूझकर नहीं किया
मीडिया ने जब केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि शिवा जी की जयंती तो आज ही थी। जनसभा स्थल और बोर्ड परीक्षा का केंद्र एक ही जगह होना, इतना दिमाग में नहीं था, कोई क्या जानबूझकर यह करेगा।
सवाल यह है कि जहां बोर्ड की परीक्षाएं हो रही है। उस स्कूल के मैदान को जनसभा के लिए आखिर अनुमति कैसे दी जा सकती है लेकिन सरकार के नुमाइंदों की ओर से बच्चों के भविष्य को टाक पर जरूर रखा गया।