जम्मू में शहीद हुए जवान रजनीश का शव पहुंचा एटा, रोया पूरा सदियापुर

एनटी न्यूज़ डेस्क / एटा / आर.बी. द्विवेदी

जम्मू सेक्टर में एटा का एक और वीर सपूत शहीद हो गया. शहादत की खबर मिलते ही परिवार में चीख-पुकार मच गई. परिजनों का रो-रोकर  बुरा हाल है. दो भाई और दो बहनों में सबसे बड़े रजनीश कुमार को बचपन से ही देश के बॉर्डर पर देश की सेवा करने का जज्बा था. साल 2013 में रजनीश बीएसएफ में एएसआई के पद पर भर्ती हुए. एटा के शहीद रजनीश के परिवार को  सलाम करना होगा.

रो-रोकर बुरा हाल है परिजनों व ग्रामीणों का…

घर में बूढ़े मां-बाप, बहन, पत्नी और तीन साल का अबूझ बेटा, इन सबको अकेला कर दुनिया छोड़ गया भारत माता का वह लाल. घर आने वाला था प्यारा भइया, अपनी बहन की शादी में लेकर आने वाला था लाल चूनर. क्या पता था वह खुद तिरंगे में लिपटकर घर आएगा. मां-पत्नी का तो रो-रोकर बुरा हाल है. बहन रोते-रोते अचेत हो जाती है. उसके तीन साल के मासूम को तो पता ही नहीं कि घर में क्या हो रहा है. सब रो क्यों रहे हैं.

 

जिसका वीर सपूत के लिए शहीद हो गया. जम्मू में शहीद हुए सब इंस्पेक्टर रजनीश कुमार थाना जैथरा के गांव सदियापुर के रहने वाले थे. अपने वीर सपूत के शहीद होने सुनने के बाद क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गयी. थाना जैथरा के गांव सदियापुर में शहीद का अंतिम संस्कार कल होगा. वहीं उनकी जन्म स्थली गांव सदियापुर में भारी भीड़ का तांता लगा हुआ है.

क्या कहते हैं परिजन…

परिजनों ने पाकिस्तान को गीदड़ बताते हुए कहा कि पाकिस्तान पीछे से वार करता है. थाना जैथरा के गांव सदियापुर में शहीद का अंतिम संस्कार आज होगा और उनकी जन्मस्थली गांव सदियापुर में देश की सीमा पर शहीद होने की सूचना मिलते ही लोगों का तांता लग गया. परिवारीजनों का कहना है कि पेट्रोलिंग के दौरान उन पर पीछे से वार किया गया. सरकार कुछ भी नहीं कर रही है, इससे जवानों का मनोबल कम होता है.

सरकार को चाहिए कि इसका मुंहतोड़ जबाब दिया जाय लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. परिजनों ने पाकिस्तानियों को गीदड़ बताते हुए कहा कि पाकिस्तान पीछे से वार करता है. शहीद के परिजनों ने कहा कि सरकार अपनी गद्दी बचाने में लगी हुई है, कोई सख्ती से कोई काम नहीं करती और कुछ दिन पूर्व हुए हमले में सीआरपीएफ पर हुई एफआईआर के बारे में भी जिक्र किया. एक पीड़ा है सरकार के प्रति शहीद परिवार के परिजनों में कि इन पाकिस्तानियों व पत्थरबाजों से निपटने के लिए एक सप्ताह के लिए केन्द्र सरकार को छूट देने की मांग कर रहे हैं.  साथ ही परिजनों ने केन्द्र सरकार से कम से कम दो सरकारी नौकरी की मांग की है.

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