एनटी न्यूज़ डेस्क/ बैंकिंग घोटाला
लगातार बैंकों में हो रहे घोटालों से घिर रही केंद्र सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे अपनी गलती मानने और इसकी पूरी जिम्मेदारी से माना कर दिया है. इस मामले पर बोलते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि बैंकों में सामने आ रही धोखाधड़ी के लिए नेताओं को जवाबदेह माना जाता है. कोई भी रेग्युलेटर को दोषी नहीं मानता है. वित्त मंत्री अरुण जेटली शनिवार को चौथे ग्लोबल बिजनेस समिट में बोल रहे थे. वहीं, इस मुद्दे पर बोलते हुए कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले केवल रेग्युलेटर्स को जिम्मेदार ठहराना गलत है.
क्या कहा वित्त मंत्री ने…?
वित्त मंत्री ने चौथे ग्लोबल बिजनेस समिट में बोलते हुए अरुण जेटली ने कहा कि बैंकों में सामने आ रही धोखाधड़ी के लिए नेताओं को जवाबदेह माना जाता है. कोई भी रेग्युलेटर को दोषी नहीं मानता है.
उन्होंने एक बार फिर रेग्युलेटर्स (नियामकों) और ऑडिटर्स को जिम्मेदार ठहराया. वहीं कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि रेग्युलेटर्स को जिम्मेदार ठहराना गलत है.
उन्होंने कहा कि इन बैंको में तैनात फाइनेंस मिनिस्ट्री के नॉमिनी सदस्य क्या कर रहे थे?
बता दें कि पीएनबी के 11,356 करोड़ रुपए के घोटाले के बाद रोटोमैक और अब ओबीसी बैंक में 389 करोड़ की हेराफेरी सामने आई है.
उन्होंने कहा कि इन मामलों में रेग्युलेटर्स का रोल अहम होता है. वे बिजनेस रूल बनाते हैं. उन्हें अपनी तीसरी आंख खोल कर रखनी चाहिए, जिससे सभी पर नजर रखी जा सके.
वित्त मंत्री ने कहा कि किसी बैंक की कोई ब्रांच में घोटाला होता है, तो वे इससे जुड़ी कोई जानकारी नहीं दे पाते. क्या ये देश के लिए चिंताजनक नहीं होगा.
पीएनबी मामले में हुई अनदेखी
अरुण जेटली ने कहा कि पीएनबी फ्रॉड का नाम लिए बिना कहा कि इस मामले में भी अफसरों और ऑडिटर्स की अनदेखी की गई. यह बेहद चिंताजनक है.
उन्होंने आगे कहा कि बिजनेस फेल होने और बैंक घोटालों के मामले से जानबूझकर लोन न चुकाने के मामले ज्यादा हैं.
वित्त मंत्री ने जोड़ा, ‘अगर ऐसे ही मामले लगातार होते रहे तो ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का हमारा प्रयास बेकार साबित होगा. इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा.’
एक साथ हों चुनाव, तब मिलेगी स्थिर सरकार
चौथे ग्लोबल समिट की बातचीत में जेटली ने लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाने को लेकर कहा कि हर साल में 2 या 3 चुनाव कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है.
उन्होंने कहा कि अगर पांच साल में एक बार चुनाव होंगे तो देश और राज्यों को स्थिर सरकार मिलेंगी. इससे कम खर्चे में सरकार ज्यादा नीतियां बना सकेगी.
पहले भी इस मामले में मैनेजमेंट को ठहराया था जिम्मेदार
इससे पहले जेटली ने पत्रकारों के एक सवाल पर कहा था कि इतना बड़ा बैंक घोटाला बैंक मैनेजमेंट की नाकामयाबी है. फिलहाल इस मामले में जो भी दोषी हैं, उन्हें सजा मिलेगी.
उन्होंने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा था कि बैंकों का पैसा लूटकर देश छोड़ चुके लोगों को सजा देकर ऐसे मामले में उदाहरण पेश करने की जरूरत है.
Addressed Global Business Summit in Delhi, February 24, 2018 pic.twitter.com/EeinGPV9Lj
— Arun Jaitley (@arunjaitley) February 24, 2018
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस मामले में कहा था कि सुपरवाइजरी एजेंसियों को इस मामले में आत्मविश्लेषण करने की जरूरत है. ऐसे मामले बिना बैंक मैनेजमेंट की लापरवाही के नहीं हो सकते हैं. यह ऑडीटर्स और मैनेजमेंट का फेल्योर है.
रेग्युलेटर्स को जिम्मेदार ठहराना गलत
कांग्रेस नेता और पूर्व संचार मंत्री कपिल सिब्बल ने वित्त मंत्री जेटली के बयान पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार रेग्युलेटर्स को क्यों दोषी ठहरा रही है?
उन्होंने कहा कि इन बैंकों में तैनात फाइनेंस मिनिस्ट्री के नॉमिनी सदस्य क्या कर रहे थे? इस मामले की जांच होनी चाहिए. लोगों को पता है कि रेग्युलेटर्स जिम्मेदार हैं.
मोदी विश्व के सबसे महंगे चौकीदार हैं
कपिल सिब्बल ने कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाते हुए तंज कसा कि वह हमेशा कांग्रेस को 2G घोटाले को लेकर घेरते हैं. ये उनके मनगढ़ंत आरोप थे. जिन्हें कोर्ट ने निराधार बताया और कहा कि 2G घोटाला हुआ ही नहीं.
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘इस सरकार में हो रहे बैंकिंग घोटालों से यह सबित हो गया है कि मोदी जी दुनिया के सबसे मंहगे चौकीदार हैं.’
क्या है पीएनबी घोटाला?
पंजाब नेशनल बैंक ने पिछले दिनों सेबी और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को 11,356 करोड़ रुपए के घोटाले की जानकारी दी थी. घोटाला पीएनबी की मुंबई की ब्रेडी हाउस ब्रांच में हुआ था.
इस घोटाले की शुरुआत 2011 से हुई. 8 साल में हजारों करोड़ की रकम फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स (एलओयू) के जरिए विदेशी अकाउंट्स में ट्रांसफर की गई.
इस घोटाले और गबन के मुख्य आरोपी हीरा कारोबारी नीरव मोदी और गीताजंलि जेम्स के मालिक मेहुल चौकसी हैं.
इन दोनों पर ऐसा आरोप है कि इन्होंने बैंक के कर्मचारियों के साथ मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया था. सीबीआई ने अब तक 12 लोगों को अरेस्ट किया है. इनमें बैंक के पांच अफसर शामिल हैं.
रोटोमैक के विक्रम कोठारी पर भी आरोप
रोटोमैक कंपनी के विक्रम कोठारी समेत 3 डायरेक्टर्स ने 7 बैंकों के कॉन्सर्टियम को धोखा दिया और बेइमानी से 2919.29 करोड़ रुपए का बैंक लोन निकाला. इसमें लोन का इंट्रेस्ट शामिल नहीं किया गया है.
ब्याज जोड़कर ये रकम 3695 करोड़ रुपए हो जाती है. कंपनी ने बैंक को यह रकम नहीं चुकाई है.
इस वक्त फिलहाल विक्रम कोठारी और उनका बेटा राहुल फिलहाल सीबीआई रिमांड पर हैं और इनसे पूछताछ जारी है.