जानिए भारतीय राजनीति में ‘फ्लोर टेस्ट’ ने कितनी बार सत्ता पलटाई !

एनटी न्यूज़ डेस्क / राजनीति / शिवम् बाजपेई

कर्नाटक में शनिवार को मुख्यमंत्री बी.एस येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया. जिसके पीछे का कारण फ्लोर टेस्ट में अपना बहुमत सिद्ध करना रहा जो शायद बीजेपी के लिए असंभव था. इसके चलते उन्होंने फ्लोर टेस्ट के पहले ही इस्तीफा दे दिया. यह पहली बार नहीं हुआ कि फ्लोर टेस्ट ने राजनीति में भूचाल ला दिया हो इससे पहले भी इस टेस्ट ने भारत की राजनीति तख्ता पलट किया है.

फ्लोर टेस्ट

चंद्रशेखर की गिरी सरकार…

जनता दल के नेता चंद्रशेखर ने समाजवादी जनता पार्टी का गठन किया. साल 1990 के नवंबर में चुनाव हुए तो उनकी पार्टी को 64 वोट मिले. फ्लोर टेस्ट हुआ तो कांग्रेस ने उन्हें सपोर्ट दिया. उस समय विपक्ष के नेता राजीव गांधी थे. चंद्रशेखर ने पीएम पद की शपथ ली.

लेकिन उसके कुछ ही महीने बाद राजीव गांधी के घर के बाहर से दो पुलिसकर्मी गिरफ्तार किए गए जिन्होंने जासूसी की बात स्वीकारी. कहा जाता है कि इस मामले में चंद्रशेखर सरकार की भूमिका पाई गई, जिसके बाद कांग्रेस ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. जिसके बाद चंद्रशेखर ने आखिरी समय तक बहुमत जुटाने की कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. फ्लोर टेस्ट के पहले ही उन्होने अपना इस्तीफा सौंप दिया.

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एक वोट से गिर गई  थी वाजपेयी सरकार

साल 1998 में हुए लोकसभा चुनावों में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. एनडीए को अन्नाद्रमुक का साथ मिला और अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री बने लेकिन 13 महीनों में ही अन्नाद्रमुक ने अपना समर्थन वापस ले लिया. वाजपेयी सरकार अल्पमत में आ गई, जिसके बाद विपक्ष की मांग पर राष्ट्रपति ने सरकार को अपना बहुमत साबित करने को कहा. मगर वाजपेयी सरकार फ्लोर टेस्ट में बहुमत नहीं पा सकी और सिर्फ एक वोट के अंतर से सरकार गिर गई.

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वीपी सिंह भी बने शिकार…

वीपी सिंह जब जनता दल के अध्यक्ष चुने गए तो उनकी अगुवाई में साल 1989 के चुनावों में  कई क्षेत्रीय दल एक साथ आए, जिसके बाद नेशनल फ्रंट का गठन हुआ. चुनाव में फ्रंट ने मजबूती से उभर कर आई लेकिन उसे बहुमत बनाने जितनी सीटें नहीं मिलीं. जिसके बाद नेशनल फ्रंट ने भाजपा और वाम पार्टियों से समर्थन लेकर केंद्र में सरकार बनाई और वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने.

1990 में भाजपा राम मंदिर मुद्दे को लेकर रथ यात्रा लेकर निकली. यह यात्रा जब बिहार पहुंची तो तत्कालीन सीएम व जनता दल के सदस्य लालू प्रसाद यादव ने रथ के पहियों को रुकवा दिया. उन्होंने इसकी इजाजत नहीं दी और लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया. ऐसा होने पर नाराज भाजपा ने वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया. संसद में बहुमत पेश नहीं कर पाने के बाद सिंह ने इस्तीफा दे दिया.

चौधरी चरण सिंह के साथ…

जनता पार्टी भारी बहुमत से सत्ता में आई और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने. लेकिन पार्टी में अंदरूनी कलह के चलते ये सरकार टिक नहीं पाई. 28 जुलाई 1979 को कांग्रेस और सीपीआई की मदद से चरण सिंह पीएम बने. राष्ट्रपति ने उन्हें 20 अगस्त तक बहुमत साबित करने का वक्त दिया. लेकिन फ्लोर टेस्ट से एक दिन पहले ही कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया, जिसके बाद चरण सिंह ने इस्तीफा दे दिया.

कल्याण सिंह को गिरा मायावती ने संभाली कमान…

यूपी में साल 1993 में विवादित ढांचा ध्वस्त होने के बाद जन्में हालातों को देखते हुए तत्कालीन सत्तारूढ़ कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर दिया गया. जिसके बाद हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी व बहुजन समाजवादी पार्टी ने गठबंधन से सरकार बनाई.

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लेकिन कार्यकाल पूरा होने से पहले ही बसपा ने समर्थन वापस ले लिया. विधानसभा में फ्लोर टेस्ट हुआ जिसमें बसपा, बीजेपी के समर्थन से बहुमत पाने में कामयाब रही. इसके बाद राज्य की सत्ता की बागडोर मायावती के हाथों में चली गई.

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