हिंदी विवि भ्रष्टाचारः रिजल्ट के आने से पहले ही तय थे सेलेक्टेड कैंडिडेटों के नाम

एनटी न्यूज़ डेस्क / वर्धा

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में जनसंचार में पीएचडी के प्रवेश हेतु कोलकाता सेंटर पर हुई धांधली का खुलासा आखिरकार हो ही गया. लगातार चार दिनों से अनशन पर बैठे छात्र मांग करते रहे कि इस प्रवेश के लिए पहले से ही दो नामों का चयन हो चुका है. लेकिन न विवि प्रशासन जागा और न ही सरकार.

अनशन पर बैठे छात्रों ने पहले ही बताया था…

अनशन पर बैठे छात्रों ने पहले ही मीडिया को बता दिया था कि नंदिनी सिन्हा और सद्दाम होसैन दो नामों का चयन हो चुका है. इसीलिए साक्षात्कार को तय समय से पहले शुरू करके संपन्न भी करा दिया गया. जब छात्र अविनाश त्रिपाठी साक्षात्कार के लिए कोलकाता केंद्र दोपहर 12 बजे पहुंचा तो उसने देखा कि उससे पहले ही दो लोगों का साक्षात्कार हो चुका है. जबकि साक्षात्कार दोपहर 2:30 बजे शुरू होना था.

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प्रशासनिक भवन के सामने अनशन करते छात्र (दूसरे दिन)

उत्तीर्ण छात्रों की थी विभागाध्यक्ष से सेटिंग

छात्र का आरोप है कि उससे शोध के प्रश्नों के बजाय सामान्य से प्रश्न पूछे गए. उसकी फाइल भी चेक नहीं की गई. जब छात्र साक्षात्कार देकर कक्ष से बाहर निकला तो उसने उक्त दोनों को बात करते इस मुद्रा में देखा कि लगा उनका तो सेलेक्शन हो गया है.

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विवि ने आरटीआई को नहीं दिया परीक्षा का ब्यौरा

इसी बात को लेकर विवि के प्रशासनिक भवन के सामने छात्र यह मांग लेकर अनशन पर बैठ गए कि उक्त पूरे मामले की जांच की जाय. इस संबंध में आरटीआई भी लगाई गई लेकिन विवि प्रशासन ने आरटीआई का जवाब नहीं दिया.

विवि प्रशासनिक भवन में अनशम करते छात्र (तीसरे दिन)

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विवि के कुलपति को संबंधित प्रार्थना पत्र भी लिखकर सूचित किया गया कि जनसंचार के विभागाध्यक्ष ने सांठ-गांठ की है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

अन्ततः वही हुआ जो छात्रों ने पहले ही बताया था कि पीएचडी के लिए साक्षात्कार में मिलीभगत से उक्त दो नामों को चुन लिया गया है. आज जब विवि ने परीक्षा के परिणाम घोषित किए तो कोलकाता केंद्र के परिणाम में नन्दिनी सिन्हा (रोल नं. 13844) और सद्दाम होसैन (रोल नं. 15157) का ही नाम है.

ये देखिए रिजल्ट, जिसे आज विवि ने जारी किया-

यह रिजल्ट जो आज विवि ने जारी किया

धांधली आ गई प्रकाश में फिर भी विवि और सरकार दोनों मौन

इस पूरे मामले से अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में हुई धांधली प्रकाश में आती है. जिस देश में छात्रों को स्वयं ही पता हो कि उनको सेलेक्ट कर लिया गया है तो उस देश का भविष्य अंधकारमय है.

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…तो क्या ऐसे ही होता रहेगा मेधावियों के साथ?

चंद पैसों की लोलुपता ने उच्च अधिकारियों को इतना गिरा दिया है कि वह अपनी जेब भरने के लिए किसी भी मेधावी का भविष्य पर हासिया लगा सकते हैं.

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