आइसीआइसीआई बैंक में भी घोटाला, प्रमुख चंद्रा कोचर पर उठ रहे सवाल

देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक आइसीआइसीआई पर भी घोटाले की आंच आ गई है. आरोप बैंक की सीईओ और एमडी चंदा कोचर पर लगा है कि उन्होंने पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के संयुक्त उपक्रम को कर्ज देने में अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया. वीडियोकॉन ने कर्ज नहीं चुकाया और 3,000 करोड़ की राशि फंसे कर्ज (एनपीए) में बदल गई.

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क्या है आरोप…

चंदा कोचर पर आरोप है कि उन्होंने अपने पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के प्रमुख वेणुगोपाल धूत की एक कंपनी न्यूपॉवर को कर्ज दिलाने में अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया.

धूत ने पहले दीपक के साथ मिलकर कंपनी बनाई, जिसे धूत की एक अन्य कंपनी ने 64 करोड़ का कर्ज दिया. बाद में इस कंपनी को दीपक की अध्यक्षता वाले न्यास को नौ लाख रुपये में सौंप दिया.

न्यास को कंपनी सौंपने के ठीक छह माह पहले बैंक ने वीडियोकॉन को 3250 करोड़ का कर्ज दिया था, जो बाद में एनपीए में तब्दील हो गया.

बैंक ने दी सफाई…

आइसीआइसीआई बैंक ने निदेशक बोर्ड की बैठक के बाद आरोपों का पुरजोर खंडन किया. कहा कि वीडियोकॉन को कर्ज देने वाला वह इकलौता बैंक नहीं है.

इस कंपनी को 20 बैंकों के कंसोर्टियम ने कर्ज दिया है जिसमें उसका हिस्सा 10 फीसद था. वीडियोकॉन को 40 हजार करोड़ कर्ज देने का प्रस्ताव अप्रैल, 2012 में पारित किया गया था.

जिस समिति ने यह फैसला किया था, उसमें चंदा कोचर नहीं थी. बोर्ड ने कहा, चंदा कोचर पर लगे सभी आरोप बेबुनियाद हैं.

दो माह में 24 हजार करोड़ के घोटाले उजागर

बैंकिंग क्षेत्र में हाल में एक दर्जन घोटाले सामने आये हैं. सरकारी क्षेत्र का शायद ही कोई ऐसा बैंक है जो सीबीआइ जांच में न फंसा हो. इसमें सबसे ऊपर पीएनबी का घोटाला है जिससे बैंक को 13,640 करोड़ का चूना लगा.

एक्सिस बैंक का 4000 करोड़ का घोटाला है. रोटोमैक कंपनी के 3600 करोड़ के घोटाला भी सामने आया. चेन्नई की कंपनी टोटेम की ओर से 1394 करोड़ की घपलेबाजी हुई.

आइडीबीआई में 772 करोड़ का घोटाला हुआ. कनिष्क ज्वैलेरी की तरफ से किया गया 824 करोड़ रुपये का फ्रॉड भी हाल के हफ्तों में सामने आया है.

सिर्फ उक्त छह घोटालों से ही बैंकों को 23,640 करोड़ का चूना लगा है. वित्त मंत्रालय द्वारा संसद में पेश आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2016-17 में बैंकों में 12,094 करोड़ का फ्रॉड हुआ था, जिसमें से महज 754.1 करोड़ रुपये की वसूली हो पाई.

अगर सिर्फ पिछले पांच वर्षो (अप्रैल, 2013 से 22 फरवरी, 2018) की बात करें तो इन बैंकों में 13,643 फ्रॉड के मामले सामने आये. इसमें बैंकों को 52,717 करोड़ की चपत लगी.