एनटी न्यूज़ डेस्क/ रपट/ योगेन्द्र त्रिपाठी
भारत में भ्रष्टाचार का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है. इसे लेकर सरकारी तंत्र अब तक सजग नहीं हो सका है और न कोई सरकार इस पर काबू कर पायी है. 2014 आम चुनावों में जब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी परिवर्तन रैली कर रहे थे तो उस समय हर रैली के केंद्र में ‘भ्रष्टाचार मिटाने की बात’ होती थी. लेकिन जमीन पर हालात आज भी बहुत ही दयनीय है. यह बात अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट ग्लोबल करप्शन इंडेक्स-2017 में साबित हो गयी है. इस रिपोर्ट में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने देश को 81वें स्थान पर रखा गया है. इसके अनुसार देश एक बार फिर भ्रष्टाचार की लड़ाई में कमर ढीली करते नज़र आ रहा है. इस रपट में भारत भ्रष्टाचार की लड़ाई दो पायदान नीचे खिसक गया है.
क्या कहती है यह रपट
इस सूचकांक में भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भ्रष्टाचार और प्रेस स्वतंत्रता के मामले में सबसे खराब स्थिति वाले देशों की श्रेणी में रखा गया है.
2016 की अपेक्षा 2017 में भारत की रैंक में गिरावट भी दर्ज की गई है. 2017 में 176 देशों की सूची में भारत 79वें स्थान पर था, वहीं 2016 में भारत 76वें स्थान पर था.
माने, हम तीन साल से लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग हार रहे हैं. इस रपट में सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की हकीकत सामने आ रही है.
180 देशों की स्थिति का आकलन
भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकारों को एक सशक्त संदेश देने के उद्देश्य से 1995 में शुरू किए गए, इस सूचकांक में 180 देशों की स्थिति का आकलन किया गया है. जो कई बातों पर आधारित होता है..
इस सूचकांक को विश्लेषकों, कारोबारियों और विशेषज्ञों के आकलन और अनुभवों पर आधारित बताया जाता है. इसमें पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं के लिए काम की आजादी जैसी कसौटियां भी अपनाई जाती हैं.
हमसे बेहतर हैं पड़ोसी देश
जहां तक भारत के पड़ोसी देशों की बात की जाए तो इस सूची में पाकिस्तान को 117वें, बांग्लादेश को 143वें, म्यांमार को 130वें तथा श्रीलंका को 91वें स्थान पर रखा गया है.
भारत के पड़ोसी देशों में भूटान का स्कोर सबसे अच्छा 67 अंक रहा है. वह सूची में 26वें स्थान पर है. चीन 41 अंक के साथ इस सूची में 77वें स्थान पर है.
कैसे होती है इसकी गणना
भ्रष्टाचार सूचकांक तैयार करने के लिए देशों को 0 से 100 अंक के बीच अंक दिए जाते हैं. सबसे कम अंक सबसे अधिक भ्रष्टाचार व्याप्त होने का संकेत माना जाता है. इस सूची में न्यूजीलैंड और डेनमार्क 89 और 88 अंक के साथ सबसे ऊपर हैं.
दूसरी तरफ सीरिया, सूडान और सोमालिया क्रमश: 14, 12 और 9 अंक लेकर सबसे नीचे हैं. इस सूची में चीन 77वें, ब्राजील 96वें और रूस 135वें स्थान पर हैं.
इस रिपोर्ट में अबकी बार भारत को 40 अंक दिए गए हैं, जो पिछले साल के ही बराबर ही है पर 2015 के बाद स्थिति में सुधार हुआ है.
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बुरे हैं हालात
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने अपने रपट में कहा है, ‘पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में कुछ देशों में पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, विपक्षी नेताओं और यहां तक कि कानून लागू करने वाली और नियामकीय एजेंसियों के अधिकारियों तक को धमकियां दी जाती हैं. कहीं-कहीं स्थित ऐसी बुरी है कि उनकी हत्याएं तक कर दी जाती हैं.’
इस रिपोर्ट में कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स का हवाला देते हुए कहा गया है कि इन देशों में छह साल में 15 ऐसे पत्रकारों की हत्या हो चुकी है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ काम कर रहे थे.
हमारी तुलना फिलीपींस और मालदीव जैसे देशों से
इस मामले में भारत की तुलना फिलीपींस और मालदीव जैसे देशों के साथ की गई है और कहा गया है कि इस मामले में ये देश अपने क्षेत्र में बहुत ही खराब हैं.
भ्रष्टाचार के मामले में इन देशों के अंक ऊंचे हैं और इनमें प्रेस की आजादी अपेक्षाकृत कम और यहां पत्रकारों की हत्याएं भी ज्यादा हुई हैं.
इस सूची में न्यूजीलैंड और डेनमार्क 89 और 88 अंक के साथ सबसे ऊपर हैं. दूसरी तरफ सीरिया, सूडान और सोमालिया क्रमश: 14, 12 और 9 अंक के सबसे नीचे हैं.
इस सूची में चीन 77वें और ब्राजील 96वें और रूस 135वें स्थान पर हैं.