शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को महासमाधि, पढ़िए… इनके बारें में कुछ बड़ी बातें

एनटी न्यूज़ डेस्क/ स्मृतिशेष

कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया आज सुबह शंकर मठ परिसर में उनके परिजन की मौजूदगी में शुरू हुई. जयेंद्र सरस्वती को महासमाधि दी गई. वे अपने दौर के सबसे प्रभावशाली आध्यात्मिक नेताओं में से एक थे. जयेंद्र सरस्वती का बुधवार सुबह यहां निधन हो गया था.

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अंतिम धार्मिक संस्कार की प्रकिया जिसे वृंदावन प्रवेशम कहा जाता है, अभिषेकम अथवा स्नान के साथ शुरू हुई. अभिषेकम के लिए दूध एवं शहद जैसे पदार्थों का इस्तेमाल किया गया.

अभिषेकम की प्रक्रिया विजयेंद्र सरस्वती तथा परिजन की मौजूदगी में पंडितों के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मठ के मुख्य प्रांगण में हुई. मठ के एक अधिकारी ने कहा कि जयेंद्र सरस्वती का पार्थिव शरीर बाद में वृंदावन उपभवन ले जाया जाएगा.

बीमारी के कारण के हुआ निधन

कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु जयेंद्र सरस्वती काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. उन्हें सांस लेने की तकलीफ के चलते बुधवार की सुबह कांची कामकोटि पीठम द्वारा संचालित एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. यहीं पर उनका देहावसान हुआ.

उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धालुओं के अंतिम दर्शन के लिए मठ में रखा गया है. इस साल जनवरी में भी तबीयत खराब होने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था.

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जयेंद्र सरस्वती को आठ जनवरी, 1994 को चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती के निधन के बाद कांची कामकोटि पीठम का 69वां शंकराचार्य बनाया गया था. मठ के प्रबंधक सुंदरेश अय्यर ने बताया कि गुरुवार को चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती की समाधि के बगल में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

कई बड़े नेताओं ने जताया शोक

जयेंद्र सरस्वती के शिष्य विजयेंद्र सरस्वती कांची पीठ के नए शंकराचार्य होंगे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयेंद्र सरस्वती के निधन पर शोक जताया है. कोविंद ने कहा कि देश ने एक आध्यात्मिक नेता और समाज सुधारक खो दिया है. उनके अनगिनत अनुयायियों के प्रति मैं अपनी संवेदना प्रकट करता हूं.

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने ट्वीट किया कि कांची पीठाधिपति श्री जयेंद्र सरस्वती को मेरी श्रद्धांजलि. उन्होंने मोक्ष प्राप्त किया. मानव कल्याण और आध्यात्मिकता के प्रसार में उनका योगदान अन्य लोगों के लिए हमेशा प्रेरणा बना रहेगा. मोदी ने कहा कि वह कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य के निधन से दुखी हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंकराचार्य के साथ अपनी एक तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया कि वह अपनी अनुकरणीय सेवा और नेक विचारों की वजह से लाखों भक्तों के दिलो-दिमाग में जीवित रहेंगे.

1954 को चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने घोषित किया था उत्तराधिकारी

जयेंद्र सरस्वती का जन्म 18 जुलाई, 1935 को तत्कालीन तंजावुर जिले में हुआ था. 22 मार्च, 1954 को जगद्गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने उनको अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और जयेंद्र सरस्वती नाम दिया.

कुछ ख़ास बातें, जयेंद्र सरस्वती के बारे में

अयोध्या मामले में किया था मध्यस्थता का प्रयास

अटल सरकार के समय 1998 से 2004 के बीच उन्होंने अयोध्या विवाद के समाधान के लिए मध्यस्थता का प्रयास भी किया था.

उनके निधन पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी शोक प्रकट किया है.

कांची स्थित जामा मस्जिद के ईमाम जे मुहम्मद के नेतृत्व में मुसलमानों के एक समूह ने कामकोटि मठ जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

कांची कामकोटि पीठ के वैभवशाली दिनों के गवाह रहे जयेंद्र सरस्वती का विवादों से भी नाता रहा.

उन पर 2004 में वरदराजपेरुमल मंदिर के प्रबंधक शंकररमण की हत्या करवाने का आरोप लगा था.

तीन सितंबर, 2004 को शंकररमण की हत्या हुई थी. इसके बाद जयेंद्र सरस्वती को गिरफ्तार कर लिया गया था.

हालांकि, नौ साल तक मुकदमा चलने के बाद सत्र न्यायालय ने 2013 में उन्हें बरी कर दिया था.

अदालत ने कहा कि उद्देश्य साबित नहीं हो पाने के कारण आरोपितों को दोषी नहीं माना जा सकता.

सुनवाई के दौरान इस मामले के 189 में से 80 गवाह अपने बयान से मुकर गए थे.

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