एनटी न्यूज़ डेस्क/ राजनीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में गतिरोध पर अपना अफसोस सांकेतिक रूप से जताते हुए कहा कि विदा हो रहे सांसदों को इस बात की कसक जरूर होगी कि वे ऐतिहासिक तीन तलाक बिल पर योगदान नहीं दे पाए. उच्च सदन में सेवानिवृत्त हो रहे 60 सदस्यों को विदाई देने के लिए सदन कुछ घंटों तक शांतिपूर्वक चला.
क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि कुछ साथी इस अनुभव को लेकर समाज सेवा में अपनी भूमिका को और मजबूत करेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बहुत से सांसद होंगे जिन्होंने सोचा होगा कि वे जाते-जाते कुछ महत्वपूर्ण योगदान देकर जाएं लेकिन वह सौभाग्य उन्हें जाते-जाते नहीं मिला. उन्होंने कहा कि यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि आपको ऐसे ही जाना पड़ रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तीन तलाक जैसे महत्वपूर्ण निर्णय जो हिन्दूस्तान के आने वाले इतिहास में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं, आप उसका निर्णय करने की प्रक्रिया से वंचित रह गए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जो लोग दोबारा चुनकर आए हैं उन्हें सौभाग्य मिलेगा, लेकिन जो जा रहे हैं उनको कुछ न कुछ कसक मन में जरूर होगी.
हमारे दरवाजे हमेशा खुले
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आप यह मत मानिए कि सदन का दरवाजा बंद होने से पूरे परिसर का दरवाजा बंद होता है. उन्होंने कहा कि आपके मन में जब भी कोई विचार आए आप आईए प्रधानमंत्री कार्यालय का दरवाजा आपके लिए खुला रहेगा. उन्होंने कहा कि आपके विचारों को सुनना मुझे अच्छा लगेगा.
इधर निकले तो उधर डूबे
प्रतिपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, नरेश अग्रवाल ऐसे सूरज हैं जो कभी इधर निकले तो उधर डूबे, उधर डूबे तो इधर निकले. उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि वे जिस भी पार्टी में गए हैं वहां उनकी क्षमताओं का उपयोग होगा.
वहीं, हाल में भाजपा में शामिल हुए सपा सदस्य नरेश अग्रवाल ने सभी दलों की यात्र का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ तो है उनमें जिसकी वजह से उन्हें हर दल में स्वीकार कर लिया जाता है.
अग्रवाल ने इशारों में कहा कि उन्हें अपमान बर्दाश्त नहीं होता है. अग्रवाल ने कहा, मैं कभी अपने को रिटायर नहीं मानता हूं. मुझे जल्दी मौका मिला तो किसी न किसी सदन में जरूर आऊंगा.
पुरानी यादों में खोने का मौका : जेटली
सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा कि यह अवसर पुरानी यादों में खोने का है. उन्होंने सदन के कामकाज और चर्चाओं में योगदान देने के लिए राकांपा के डीपी त्रिपाठी, माकपा के तपनकुमार सेन का विशेष तौर पर जिक्र किया. उन्होंने सपा के नरेश अग्रवाल एवं कांग्रेस के राजीव शुक्ला का भी उल्लेख किया.
राजीव शुक्ल ने साझा किए अनुभव
राजीव शुक्ल ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब मुङो संसदीय कार्यमंत्री बनाया गया तो प्रणब मुखर्जी मुझसे कहते थे कि जो पार्लियामेंट अफेयर मिनिसटर है उसे ट्रेजरी बेंचेज में नजर नहीं आना चाहिए. उनका कहा ही थी कि मैंने सभी दलों के लोगों से अच्छे संबंध बनाए.
संसदीय परंपराओं का क्षरण : कुरियन
उपसभापति पीजे कुरियन ने इस बात पर अफसोस जताया कि संसदीय पंरपराओं का क्षरण हो रहा है. उन्होंने कहा कि पहले विरोध के लिए वाकआउट होता था. लेकिन आजकल सांसद वाक करके वेल में पहुंच जाते हैं.
उन्होंने कहा कि पहले मंत्रियों को विपक्षी दलों द्वारा खूब खिंचाई की जाती थी लेकिन सदन में गतिरोध से यह मौका भी गंवा दिया है.
कुरियन ने भी सदन में हंगामा पर अफसोस जताया और कहा कि वह 1980 के दशक में संसद सदस्य बने थे. उसके बाद से संसद की कार्यवाही के स्तर में गिरावट आई है.