क्या ओमप्रकाश राजभर से किनारा कर रही है बीजेपी

एनटी न्यूज़ / लखनऊ / बबिता मिश्रा पांडेय

देश की राजनीति में जातीय समीकरण अपनी अहम भूमिका रखता है. देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में अगर देखें तो जातीय समीकरण चुनाव में अपनी अहम भूमिका रखता है. राजनीतिक दल उसी हिसाब से अपने टिकट का बंटवारा करते आये हैं. अभी लोकसभा चुनाव में थोड़ा समय है, लेकिन जातीय समीकरण को साधने के लिए सभी दल अपनी-अपनी जोर आजमाइश में लगे हुए हैं.

ये है सूबे का जातीय समीकरण

अगर सूबे की जातीय गणित पर नजर डालें तो सवर्ण बिरादरी 18 से 20 फीसदी है जिसमें सबसे अधिक ब्राह्मण हैं लगभग 9 फीसदी, वहीं राजपूत 4 से 5 फीसदी और और वैश्य 3 से 4 फीसदी हैं. ओबीसी लगभग 42 से 45  फीसदी, दलित 21 से 22 फीसदी और मुस्लिम लगभग 16 से 18 फीसदी हैं. जातीय समीकरण से अगर किसी जाति को कम तवज्जो दिया जा रहा है तो वह है सवर्ण. बात करते हैं योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर की, जो कि आये दिन अपने ही सरकार को कटघरे में खड़ा करते आ रहे हैं.

राजभर का अब तक का राजनीतिक सफर

ओमप्रकाश राजभर पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री हैं और गाजीपुर के जहूराबाद विधानसभा से विधायक हैं. ओमप्रकाश राजभर के राजनीतिक कैरियर पर अगर नजर डालें तो राजभर ने बीएसपी के संस्थापक कांशीराम के साथ 1981 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. बसपा प्रमुख मायावती ने जब भदोही जनपद का नाम परिवर्तित कर सन्त रविदास नगर किया तब ओमप्रकाश ने अपने बागी तेवर दिखाए और सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी का गठन किया. वैसे 1981 से अब तक के राजनीतिक सफर में 2017 का विधानसभा चुनाव राजभर के लिए काफी शुभ रहा.

राजा सुहेलदेव के का गुणगान और राजनीति

इस चुनाव में ओमप्रकाश राजभर न सिर्फ खुद विधानसभा पहुंचे बल्कि अपने पार्टी के 3 अन्य विधायकों को जितवाकर खुद विधानसभा पहुचे और मंत्री भी बने. आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम में राजा सुहलदेव की शान में कसीदे पढ़े. वहीं राजा सुहेल देव के नाम पर ओमप्रकाश राजभर अपनी राजनीति कर रहे हैं. और कार्यक्रम का आयोजन योगी सरकार के राज्यमंत्री अनिल राजभर ने किया.

राजा सुहेलदेव को लेकर कवायद

इससे कहीं न कहीं यह साफ दिख रहा है कि अब बीजेपी ओमप्रकाश राजभर के कद का नेता खड़ा कर रही है. जिससे राजभर बिरादरी का वोट बीजेपी से दूर न जाये. योगी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि सुहेलदेव ने मसूद गाजी को मारा था जो कि मुगल आक्रांता महमूद गजनवी का भांजा था. योगी ने कहा कि सुहेलदेव की जीवनी पढ़ाई जानी चाहिए लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों ने उस पर ध्यान नहीं दिया.

योगी ने यह  सन्देश दिया कि सुहेलदेव को जो स्थान बीजेपी दे सकती वह कोई नहीं दे सकता. एक बात यहां और भी जाननी जरूरी है कि महाराजा सुहेलदेव ने सैयद सालार मसूद गाजी को मारा था जिनका मजार जनपद बहराइच में बना हुआ है. ऐसे में अगर इतिहास के पन्नो में झांके तो मुस्लिम कभी राजभर के साथ नहीं जाएगा. आज के समय बहराइच दरगाह बहुत से मुस्लिमों के आस्था का केंद्र बन चुका है.

पूर्वांचल में कई जिले राजभर बहुल हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव को देखें तो बीजेपी ने कई छोटे-छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. भले ही उस दल का एक या दो विधानसभा या लोकसभा पर प्रभाव रहा हो. ऐसे में बीजेपी ओमप्रकाश राजभर के कद का नेता खड़ा करके राजभर वोटों को अपनी झोली में डालने का पूरा प्रयास करेगी. अब यह आने वाला समय बतायेगा कि भासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर अगर बीजेपी का साथ छोड़ते हैं और अनिल राजभर जो कि यूपी सरकार में राज्यमंत्री हैं और बीजेपी के विधायक हैं, तो किसका साथ राजभर बिरादरी चुनती है.

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