संसद सत्र आज से, तीन तलाक और पीएनबी घोटाले जैसे मुद्दों पर विपक्ष बढ़ाएगा सियासी पारा

एनटी न्यूज़ डेस्क/ राजनीति

पंजाब नेशनल बैंक के महाघोटाले की सियासी गूंज के साथ ही सोमवार को संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत होगी. कांग्रेस की अगुआई में विपक्षी दलों ने पहले ही दिन राजग सरकार को घेरने के लिए संसद के दोनों सदनों में इस घोटाले को उठाने की रणनीति तैयार की है. राज्यसभा में विपक्ष स्थगन प्रस्ताव के जरिये इसके खिलाफ मुखर आवाज उठाएगा. कांग्रेस और विपक्षी दल पीएनबी घोटाले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की मांग भी उठाएंगे. वहीं, तीन राज्यों की ताजा चुनावी कामयाबी से उत्साहित सरकार भी घोटाले की जांच में तेजी के सहारे विपक्ष के दांव को थामने के लिए तैयार है.

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विपक्ष का रुख साफ है पीएनबी मुद्दे पर

संसद के दोनों सदनों में कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिये पीएनबी घोटाले पर बहस की मांग की रणनीति से साफ है कि विपक्षी दल बजट सत्र के दूसरे चरण में इस मुद्दे को सरकार के खिलाफ सबसे अहम सियासी हथियार बनाएंगे.

इससे पहले भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विपक्षी दलों के पास राजग सरकार पर सवाल उठाने की गुंजाइश नहीं थी. मगर नीरव मोदी और मेहुल चोकसी का घोटाला प्रकरण सामने आने के बाद विपक्षी दल खासकर कांग्रेस भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राजग की नैतिक बढ़त को खत्म करना चाहती है.

संसद का यह बजट सत्र 6 अप्रैल तक चलेगा. विपक्षी दलों की इस रणनीति को देखते हुए सरकार भी जवाबी दांव चलने में कसर नहीं छोड़ेगी.

एक अवकाश के बाद आगाज से ठीक पहले कैबिनेट ने देश से धोखाधड़ी कर विदेश भाग जाने वाले आरोपियों से वसूली करने वाले बिल को मंजूरी दे दी है.

सरकार इसी सत्र में यह बिल पारित कराने की प्रतिबद्धता के साथ नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के खिलाफ जांच एजेंसियों की कार्रवाई की तत्परता के ब्योरे के साथ विपक्ष के प्रहारों का जवाब देने की कोशिश करेगी.

तत्काल तीन तलाक बिल का मुद्दा भी होगा प्रमुख

पीएनबी घोटाले के साथ विपक्ष इस सत्र में महंगाई और किसानों की खराब हालत के मसले पर भी सरकार को घेरने का प्रयास करेगा.

वहीं, एक साथ तीन तलाक की प्रथा रोकने संबंधी बिल पारित कराने को लेकर भी अगले एक महीने तक संसद में सियासी सरगर्मी चरम पर होगी.

एक साथ तीन तलाक बिल लोकसभा से पारित हो चुका है और राज्यसभा में विचाराधीन है. कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने बजट सत्र के पहले चरण में इस बिल को राज्यसभा की सिलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग रखी थी, मगर सरकार राजी नहीं हुई थी.

विपक्षी पार्टियां एक साथ तीन तलाक बिल में कुछ संशोधन चाहती हैं जबकि सरकार लोकसभा से पारित बिल में किसी बदलाव के पक्ष में नहीं है.