एनटी न्यूज़ डेस्क/ लापरवाही
केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यकों को स्किल्ड करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से तीन साल पहले ‘उस्ताद’ योजना शुरू की थी. मगर उसके अधिकारियों की ‘उस्तादी’ से इस योजना को पलीता लग रहा है. इसे लेकर न कोई लक्ष्य बनाया गया और न ही कोई रोडमैप तय है.
इसके बावजूद तीन साल में योजना पर 59 करोड़ रुपए फूंक दिए गए. ट्रेनिंग के नाम पर पूरे देश में सिर्फ 16 हजार शिल्पकला और हस्तकला कारीगरों को ही सिखाने की ‘खानापूर्ति’ की गई.
यह ट्रेनिंग भी सिर्फ 2016-17 में दी गई. जबकि योजना को वित्त वर्ष 2014-15 में शुरू किया था. अन्य वर्षों में हर साल करोड़ों रुपए का बजट तो जारी हुआ मगर एक भी व्यक्ति को ट्रेंड नहीं किया गया.
इस वित्त वर्ष में भी 22 करोड़ जारी
मौजूदा वित्त वर्ष में भी 22 करोड़ रुपए का बजट जारी किया गया और अभी तक ट्रेनिंग के नाम पर जीरो रिजल्ट है. हद तो यह है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने 7 करोड़ रुपए और मांगे हैं.
मंत्रालय में उस्ताद योजना के पूरे देश के प्रभारी पीके ठाकुर से जब पूछा गया कि 2015-2016 में 17 करोड़ का बजट आया पर किसी को ट्रेंड नहीं किया गया.
उन्होंने कहा कि पैसा दस्तकारों और शिल्पकारों के लिए वर्कशॉप आयोजित करने में खर्च हो गया. हालांकि इस दौरान किसी को भी ट्रेंड न करने की बात उन्होंने स्वीकार की.
मंत्रालय में जब योजना के लिए खोले गए ट्रेनिंग सेंटर्स की जानकारी मांगी गई. तो अधिकारियों को यही मालूम नहीं था कि देश में कितने स्थानों पर ‘उस्ताद’ बनाने के सेंटर्स चल रहे हैं.
क्या कहते हैं मंत्रालय के अधिकारी
भास्कर के अनुसार, मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि कि जल्द ही योजना के लिए लक्ष्य तय किया जाएगा. इस वर्ष किसी को ट्रेनिंग न देने के सवाल पर वह बोले कि अभी मार्च खत्म होने में 20 दिन हैं. 31 मार्च से पहले उस्तादों को ट्रेनिंग के लिए चिन्हित कर लिया जाएगा.
क्या है उस्ताद योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस्ताद योजना का मतलब USTTAD यानी (अपग्रेडिंग द स्किल्स एंड ट्रेनिंग इन ट्रेडिशनल आर्ट्स फॉर डेवलपमेंट) योजना है.
14 मई, 2015 को वाराणसी से शुरू की गयी इस योजना का लक्ष्य शिल्पकला और हस्तकला कारीगरों की क्षमता निर्माण में बढ़ोतरी व कौशल विकास करना था.
उस्ताद योजना के लिए पूरे देश में 38 पीआईए (प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटिंग एजेंसी) चुनी गईं. इनमें आधे से ज्यादा यानी 17 अकेले यूपी में हैं. बाकी 21 अन्य राज्यों में हैं.
इन एजेंसियों के जरिए ही मास्टर ट्रेनरों को नियुक्त कर प्रशिक्षण दिया जाना था. ट्रेनिंग सेंटर्स भी इन एजेंसियों के तहत खुलने थे.
क्या है ‘उस्ताद’ बनने की योग्यता
योजना के तहत प्रशिक्षु को पांचवी कक्षा पास होना अनिवार्य रखा गया.
इसका कोर्स पूरा करने के लिए 3 माह से लेकर 8 माह का समय लगता है.
उम्र सीमा पहले 14 से 35 वर्ष थी, बाद में बढ़ाकर 45 वर्ष कर दी गई है.
33 फीसदी महिलाओं के सीटें रिजर्व हैं.
उस्ताद योजना में दी जाती है 33 कलाओं की ट्रेनिंग
योजना में विभिन्न राज्यों की कुल 33 पारंपरिक शिल्पकारी और दस्तकारी सिखाना तय किया गया था.
इनमें चिकनकारी (यूपी), ग्लास वेयर (यूपी), पेपरमशी (जम्मू-कश्मीर), फुलकारी (पंजाब) , लहरिया (राजस्थान) , अजरक (गुजरात) प्रमुख हैं.
ट्रेनिंग के साथ 3 हजार हर माह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस योजना के तहत सीखने वाले को प्रतिमाह 3 हजार रुपए दिया जाना तय किया गया था. अधिकारियों के अनुसार, एक प्रशिक्षु पर प्रतिमाह 10 हजार रुपए खर्च का आकलन किया गया था.
मास्टर ट्रेनरों की फीस 50 हजार रुपए प्रतिमाह तय की गई थी. 2020 में योजना की समीक्षा होगी.
लापरवाही की हद
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अफसरों ने कहा-तय कर लेंगे लक्ष्य
देश में कितने ट्रेनिंग सेंटर, ये भी नहीं मालूम
अल्पसंख्यकों को बनाना था स्किल्ड, हर साल पैसा जारी हो रहा पर ट्रेनिंग जीरो
38 एजेंसी जिन्हें करना है योजना को इंप्लीमेंट, आधी अकेले यूपी में
इस वर्ष 22 करोड़ खर्च, 7 करोड़ रु. और मांगे
इस योजना के लिए बजट हर साल जारी किया गया
बगैर लक्ष्य बनी योजना, तीन साल में 59 करोड़ फूंके
ट्रेंड हुए महज 16 हजार लोग
वर्ष – बजट – उस्ताद बने
2014-2015 – 50 लाख – कोई नहीं
2015-2016 – 17 करोड़ – कोई नहीं
2016-2017 – 20 करोड़ – 16,200
2017-2018 – 22 करोड़ – कोई नहीं
2018-2019 – 30 करोड़ – अभी तक जानकारी नहीं
(साभार दैनिक भास्कर)