‘चीन की चालाकी’ को मात देने के लिए भारत और वियतनाम हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में साथ-साथ

एनटी न्यूज़ डेस्क/ विदेश नीति

चीन की विस्तारवादी नीतियों से परेशान भारत और वियतनाम ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में बड़े रणनीतिक सहयोग के लिए तैयार हैं. शनिवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वियतनाम के राष्ट्रपति त्रन दाई क्वांग ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन होना चाहिए. कहने की जरूरत नहीं कि उनका इशारा किस देश की तरफ था.

भारत, वियतनाम, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, हिन्द-प्रशांत क्षेत्र, रणनीतिक सहयोग, राष्ट्रपति त्रन दाई क्वांग

अमेरिका व तमाम दूसरे देश भी चिंतित

हिन्द-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्व को लेकर भारत, वियतनाम व आसियान के अन्य दूसरे देश ही नहीं बल्कि अमेरिका व तमाम दूसरे देश भी चिंतित हैं.

राष्ट्रपति क्वांग तीन दिवसीय यात्रा पर भारत आए हैं. वैसे भारत और वियतनाम के शीर्ष नेता पिछले तीन वर्षो से लगातार एक दूसरे देश की यात्रा कर रहे हैं. वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री मोदी वियतनाम गए थे.

हाल ही में वियतनाम के प्रधानमंत्री भी भारत आए थे. दोनों देशों के बीच रणनीतिक साङोदारी भी है और वियतनाम लगातार भारत के साथ सैन्य संबंधों को प्रगाढ़ करने की बात सार्वजनिक तौर पर कर रहा है.

दोनों देशों के बीच हुए तीनों समझौतों से ज्यादा अहम दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बातचीत रही है. दोनों ने यह संकेत देने में कोई कोताही नहीं की कि उनका बढ़ता सहयोग किस देश के बढ़ते खतरे के प्रति है.

क्या कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने…?

मोदी ने बाद में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम एक आजाद, खुले व संपन्न हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के लिए काम करेंगे जहां संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानून का आदर किया जाए.’

इसके बाद क्वांग ने भी बगैर किसी लाग लपेट के कहा, ‘भारत ने आसियान देशों के साथ कई तरह से कनेक्टिविटी को बढ़ाने की रणनीति बनाई है जिसका हम स्वागत करते हैं. इस पूरे क्षेत्र में नौवहन और उड़ानों को लेकर पूरी आजादी होनी चाहिए.’

क्या कहा वियतनाम के राष्ट्रपति त्रन दाई क्वांग ने…?

वियतनाम के राष्ट्रपति त्रन दाई क्वांग ने शनिवार को कहा कि भारत अगले कुछ वर्षो में वियतनाम का शीर्ष कारोबारी सहयोगी बनकर उभरेगा. उन्होंने वर्ष 2020 तक द्विपक्षीय करोबार 15 अरब डॉलर (97,500 करोड़ रुपये) पर पहुंचने की उम्मीद जताई.

उन्होंने कहा कि वियतनाम के टेक्सटाइल और फुटवयिर उद्योग के लिए भारत महत्वपूर्ण जानकारियां मुहैया कराने का अहम स्रोत बन सकता है. उनका देश पर्यटन क्षेत्र में भी भारत से सहयोग बढ़ाने की अपेक्षा रख रहा है.

क्वांग ने कहा, ‘वर्तमान में भारत हमारे शीर्ष 10 कारोबारी सहयोगियों में है. मुझे उम्मीद है कि बहुत जल्द भारत हमारे शीर्ष कारोबारी सहयोगी का रुतबा हासिल करेगा.’

उन्होंने कहा, ‘वर्तमान में हमारा द्विपक्षीय कारोबार करीब 10 अरब डॉलर (करीब 6,500 करोड़ रुपये) है, जो वर्ष 2020 तक 15 अरब डॉलर तक पहुंचने की पूरी क्षमता रखता है.’

उन्होंने यह भी कहा कि वियतनाम निवेश के सबसे सुरक्षित गंतव्यों में से एक है.

मनमोहन और सोनिया भी मिले

आइएएनएस के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने भी क्वांग से मुलाकात की. उनके साथ वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा भी थे.

तीन समझौतों पर हस्ताक्षर

शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति क्वांग के समक्ष तीन अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए. इसमें एक समझौता आण्विक ऊर्जा के इस्तेमाल के क्षेत्र में भी है.

माना जा रहा है कि इससे आण्विक ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए भारत वियतनाम को जरूरी तकनीक देगा. दोनों देशों के बीच व्यापार व निवेश के क्षेत्र में भी एक समझौता हुआ है. तीसरा समझौता कृषि क्षेत्र से जुड़ा हुआ है.

रक्षा तकनीक हस्तांतरण पर बातचीत

खबरों के मुताबिक, बातचीत में हिन्द-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र की स्थिति काफी प्रमुखता से उठी है. इसी तरह से रक्षा सहयोग का मुद्दा भी अहम रहा है.

वियतनाम भारत के साथ ज्यादा से ज्यादा नौसैनिक क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना चाहता है. बातचीत में रक्षा उत्पादन से जुड़ी तकनीक हस्तांतरण का मुद्दा भी बेहद अहम रहा. माना जा रहा है कि संयुक्त रक्षा उत्पादन को लेकर अगले कुछ महीनों के भीतर अहम घोषणा की जाएगी.

सुषमा के साथ व्यापक बातचीत

सरकारी न्यूज़ एजेंसी प्रेस ट्रस्ट के मुताबिक, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी शनिवार को वियतनाम के राष्ट्रपति से मुलाकात की.

विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि दोनों नेताओं ने सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाकर व्यापक रणनीतिक साङोदारी को और मजबूत बनाने के कदमों पर विचार-विमर्श किया.

 

Advertisements