खुद को आंध्र प्रदेश का बड़ा हितैषी दिखाने की होड़ में वाईएसआर कांग्रेस और तेलुगु देसम पार्टी मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की कवायद में जुटी हुई हैं. दोनों दल अब अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस स्वीकार कराने और जरूरी 50 सांसदों का समर्थन जुटाने में लगे हैं. टीडीपी के लोकसभा में 16 जबकि वाईएसआर कांग्रेस के नौ सदस्य हैं.
आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर छिड़ी नाक की लड़ाई में टीडीपी को सत्ता और राजग का साथ छोड़ना पड़ा है. अब वह अविश्वास प्रस्ताव के मसले पर वाईएसआर कांग्रेस से नहीं पिछड़ना चाहती.
वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी साथ
वाईएसआर कांग्रेस के वाईवी सुब्बा रेड्डी ने सोमवार की कार्यवाही के संशोधित कार्यक्रम में अविश्वास प्रस्ताव के अपने नोटिस को शामिल किए जाने के लिए लोकसभा सचिवालय को पत्र लिखा है.
टीडीपी ने भी अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे रखा है, लेकिन पिछले सप्ताह दिए गए इन नोटिसों को लोकसभा की कार्य सूची में दर्ज नहीं किया गया है.
अभी तक कोई आदेश नहीं हुआ जारी
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा है कि इसके लिए अभी तक लोकसभा प्रशासन का कोई आदेश जारी नहीं हुआ है. सोमवार को भी नोटिस पर कोई फैसला होने की उम्मीद कम है. बजट सत्र के आखिरी हिस्से के दो सप्ताह हंगामे के बीच गुजर चुके हैं.
बावजूद इसके सरकार बजट व कुछ महत्वपूर्ण बिल ध्वनि मत से पारित कराने में सफल रही है, लेकिन आगामी सप्ताह फिर से हंगामेदार रहने की आसार हैं. दोनों दल विपक्षी पार्टियों से अपने-अपने नोटिस के समर्थन के लिए लामबंद करने में जुटे हुए हैं.
उधर सरकार ने अपने बहुमत का भरोसा जता दिया है. 539 सदस्यों वाली लोकसभा में भाजपा के पास खुद के 274 सदस्य हैं, जबकि बहुमत के लिए 270 सदस्यों की ही जरूरत है. इस आधार पर भाजपा अविश्वास प्रस्ताव को लेकर पूरी तरह निश्चिंत है.