कॉनरैड संगमा ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकिन क्या ये राह आसान होगी

एनटी न्यूज़ डेस्क/ राजनीति

मेघालय में भाजपा समर्थित सरकार बन चुकी है. नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के अध्यक्ष कॉनरैड संगमा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ राज्यपाल गंगा प्रसाद ने दिलाई. रविवार को उन्होंने राज्यपाल गंगा प्रसाद से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया था और सोमवार को मेघालय के गवर्नर ने कॉनरैड संगमा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था.

इस दौरान पूर्व लोकसभा स्पीकर दिवंगत पीए संगमा के पुत्र कॉनरैड संगमा ने कहा था, ‘मेरे पास संख्याबल होने के कारण राज्यपाल ने राज्य में सरकार बनाने के लिए मुझे आमंत्रित किया है.’  उनके पास 34 विधायकों का समर्थन है. इसके साथ ही उन्होंने माना था कि गठबंधन की सरकार चलाना इतना आसान नहीं होगा.

कौन हैं कॉनरैड संगमा…?

कॉनरैड संगमा मेघालय के पूर्व मुख्‍यमंत्री और लोकसभा के पूर्व स्‍पीकर स्‍व.पीए संगमा के बेटे हैं. 1996 में पहली बार जब 13 दिनों के लिए अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी थी उस समय संगमा ही स्‍पीकर थे.

कॉनरैड संगमा की बहन अगाथा संगमा मनमोहन सिंह की सरकार में ग्रामीण विकास राज्‍य मंत्री रह चुकी हैं.

कॉनरैड संगमा के बड़े भाई जेम्‍स अभी विधानसभा में विपक्ष के नेता थे. दोनों भाई पहली बार 2008 में विधायक बने थे.

कॉनरेड संगमा की स्‍कूली शिक्षा दिल्‍ली के सेंट कोलंबस स्‍कूल में हुई है. वह लंदन और पेन्सिलवेनिया में भी पढ़ाई कर चुके हैं.

उनके शपथ ग्रहण समारोह के दौरान भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह तो किसी कारण से नहीं पहुँच सके लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह शपथ-ग्रहण समारोह में मौजूद रहे. राजनाथ सिंह ने उन्हें शुभकामानाएं भी दी.

क्या रहा सरकार बनाने का घटनाक्रम

संगमा ने रविवार शाम राज्यपाल गंगा प्रसाद से मुलाकात की थी और 60 सदस्यीय विधानसभा में 34 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था.

शपथ ग्रहण समारोह से पहले नेशनल पीपल्स पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन के घटक दल एचएसपीडीपी ने कहा है कि बीजेपी को गठबंधन से बाहर रखा जाना चाहिए था क्योंकि क्षेत्रीय पार्टियों के पास सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्या है.

किसी दल को नहीं मिला है बहुमत

दरअसल मेघालय में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है. कांग्रेस 21 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी है, जबकि एनपीपी को 19 और भाजपा को 2 सीटें मिली है.

वहीं, अन्य के खाते में 17 सीटे हैं. कांग्रेस और बीजेपी लगातार यूडीपी के संपर्क में थे, जिनके 6 विधायक हैं. यूडीपी ने आख़िरकार किंगमेकर की भूमिका निभाते हुए कॉनरैड संगमा की एनपीपी को समर्थन देने का फ़ैसला किया था.

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