केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि शोपियां फायरिंग मामले में मेजर आदित्य के खिलाफ जम्मू और कश्मीर पुलिस की ओर से दर्ज एफआइआर वैध नहीं है, क्योंकि ऐसा करने से पहले केंद्र से इजाजत नहीं ली गई थी. कोर्ट इस मामले में 24 अप्रैल को अंतिम सुनवाई करेगा.
केंद्र ने मेजर आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल कर्मवीर सिंह की लंबित अर्जी पर पक्षकार के रूप में दाखिल याचिका में ये बातें कही हैं. कर्मवीर ने आदित्य के खिलाफ दर्ज एफआइआर रद करने की मांग वाली याचिका में केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने दर्ज एफआइआर के आधार पर फिलहाल किसी भी जांच पर रोक लगा रखी है.
बिना इजाजत कोई कार्रवाई नहीं
केंद्र सरकार ने कहा है कि मामले पर गहनता से विचार के बाद पाया गया कि इस मामले में केंद्र सरकार की पूर्व इजाजत के बगैर कोई भी कानूनी कार्रवाई करने पर पूरी तरह रोक है.
जम्मू कश्मीर पुलिस के मेजर आदित्य के खिलाफ रणबीर पैनल कोड की धाराओं के तहत दर्ज एफआइआर अमान्य व अवैध है पुलिस ने एफआइआर दर्ज करने से पहले केंद्र से पूर्व इजाजत के लिए न तो आवेदन किया न ही इजाजत ली.
आर्म्ड फोर्सेस (जम्मू एवं कश्मीर) स्पेशल पावर एक्ट 1990 (अफ्सपा ) की धारा 7 कहती है कि सेना में कैसा भी काम करने वाले के खिलाफ केंद्र की पूर्व अनुमति के बगैर किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी.
राष्ट्रविरोधी तत्व राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा
केंद्र ने कहा है, राष्ट्रविरोधी तत्व और आतंकी लगातार राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं. उनको स्वचालित हथियारों के अलावा सीमा पार से समर्थन मिलता है.
अफस्पा के तहत अशांत घोषित क्षेत्र को सुरक्षित रखने वाली पुलिस और सेना पर भीड़ के हमले आम बात है.
अफस्पा कानून की धारा सात के बारे में इन परिस्थितियों के मद्देनजर देश की सुरक्षा और अखंडता बनाए रखने के लिहाज से विचार होना चाहिए. इस बारे में केंद्र सरकार ही फैसला ले सकती है कि धारा सात का संरक्षण दिया जाए कि नहीं.
क्या है पूरा मामला
जम्मू कश्मीर के शोपियां में 27 जनवरी को सेना के काफिले पर भीड़ ने पत्थरबाजी और हमला किया था. सेना ने आत्मरक्षा में फायरिंग की थी जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी.
पुलिस ने काफिले की अगुवाई करने वाले मेजर आदित्य समेत सेना के कई लोगों के खिलाफ हत्या, कातिलाना हमला आदि अपराधों में एफआइआर दर्ज कर रखा है.