भारत ने चीन से लगी सीमा पर बढ़ाई सैन्य टुकड़ियां

डोकलाम विवाद के बाद भारत ने चीन सीमा पर सेना की तैनाती बढ़ा दी है. बीजिंग की हर चाल पर पैनी नजर रखने के लिए सामरिक रूप से महत्वूपर्ण अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती पहाड़ी क्षेत्रों दिबांग, दाउ देलाई और लोहित घाटी में सैनिकों की संख्या बढ़ाने के साथ ही गश्त भी तेज कर दी गई है. पिछले साल डोकलाम में भारत और चीन की सेना में तनातनी का दौर लंबा चला था. दोनों ओर की सेनाएं 73 दिनों तक आमने-सामने थीं.

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क्या कहते हैं सैन्य अधिकारी

सैन्य अधिकारियों के अनुसार, भारत ने तिब्बत के सीमावर्ती इलाकों में चीन की हर चाल पर पैनी नजर रखने के लिए अपने निगरानी तंत्र को भी बेहद चाकचौबंद कर लिया है. इन क्षेत्रों की टोह लेने के लिए नियमित रूप से हेलीकॉप्टरों से भी गश्त की जा रही है.

उन्होंने बताया कि भारत दिबांग, दाउ देलाई और लोहित घाटी जैसे दुर्गम इलाकों में अपना ध्यान केंद्रित किए हुए है. इन इलाकों में 17 हजार फीट ऊंची बर्फीली पहाड़ियां और नदियां हैं.

वह कहते हैं कि इन क्षेत्रों से लगती सीमाओं पर चीन के बढ़ते सैन्य दबाव की काट के तौर पर भारत ने यह रणनीति अपनाई है.

अहम सामरिक इलाकों पर भी ध्यान

चीन के तिब्बती क्षेत्र से लगते अरुणाचल के गांव किबिथू में तैनात सेना के एक अधिकारी का कहना है, ‘डोकलाम के बाद हमने सीमा पर अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं. हम किसी भी चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

भारत, चीन और म्यांमार के ट्राई जंक्शन समेत अहम सामरिक इलाकों में सेना की तैनाती बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है.’

उन्होंने कहा कि सेना अब अपनी लंबी दूरी की गश्त (लांग रेंज पेट्रोल्स) को बढ़ा रही है. इसमें छोटी-छोटी टुकड़ियां 15 से 30 दिनों के लिए गश्त पर भेजी जाती है.

चीन तेजी से कर रहा निर्माण कार्य

सेना के उक्त अधिकारी ने बताया कि चीन, भारत की सीमा से सटे तिब्बती इलाके में तेजी से ढांचों का निर्माण कर रहा है. इसलिए यह जरूरी हो गया है कि भारत भी इन इलाकों में सड़कों का नेटवर्क बढ़ाए, जिससे सेना की शीघ्रता के साथ आवाजाही हो सके.

फुट सस्पेंशन ब्रिज से होती है सैन्य आपूर्ति

सेना को किबिथु पोस्ट तक सैन्य आपूर्ति के लिए फुट सस्पेंशन ब्रिज का इस्तेमाल करना पड़ता है. यह लोहित नदी के पूर्वी और पश्चिमी किनारों को जोड़ने का एकमात्र रास्ता है.

हालांकि सीमा सड़क संगठन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दिबांग और लोहित घाटी को जोड़ने समेत कई सड़कों को अंतिम रूप दे दिया गया है. इनके निर्माण से अरुणाचल के इन क्षेत्रों में आवाजाही सुगम हो जाएगी.

क्या है ख़ास इस बार…

चीन, भारत से लगती करीब चार हजार लंबी सीमा पर सड़कों का जाल बिछा रहा है.

डोकलाम के बाद बीजिंग की हर चाल पर नजर.

अरुणाचल के सीमांत क्षेत्रों में निगरानी तंत्र चाक-चौबंद.

सामरिक रूप से अहम दिबांग, दाउ देलाई व लोहित घाटी में तैनाती बढ़ी.

टोह लेने के लिए नियमित रूप से हेलीकॉप्टरों से भी की जा रही गश्त.

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