सांसदों के लिए नज़ीर बने सचिन तेंदुलकर, दान किया अपना पूरा वेतन

भारतीय दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने सराहनीय काम करते हुए राज्यसंभा सांसद के रूप में अपना पूरा वेतन और भत्ते प्रधानमंत्री राहत कोष में दान कर दिए. उनका कार्यकाल हाल में समाप्त हुआ था. पिछले छह वर्षो में तेंदुलकर को वेतन के रूप में लगभग 90 लाख रुपये और अन्य मासिक भत्ते मिले थे. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने भी एक पत्र जारी किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सहायता के लिए उनका आभार व्यक्त किया है. पत्र में लिखा है कि ‘यह योगदान संकटग्रस्त लोगों को सहायता पहुंचाने में बहुत मददगार होगा.’

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अपने सांसद निधि का किया बेहतर उपयोग

तेंदुलकर और मशहूर अभिनेत्री रेखा को इन वर्षो में संसद में कम उपस्थिति के लिए कई बार आलोचना ङोलनी पड़ी थी. तेंदुलकर ने हालांकि सांसद निधि का अच्छा उपयोग किया.

उनके कार्यालय की ओर से जारी आंकड़ों में कहा गया है कि उन्होंने देश भर में 185 परियोजनाओं को मंजूरी देने और उन्हें आवंटित 30 करोड़ रुपये में से 7.4 करोड़ रुपये शिक्षा और ढांचागत विकास में खर्च करने का दावा किया.

सांसद आदर्श ग्राम योजना कार्यक्रम के तहत तेंदुलकर ने दो गांवों को भी गोद लिया, जिनमें आंध्र प्रदेश का पुत्तम राजू केंद्रिगा और महाराष्ट्र का दोंजा गांव शामिल है. सचिन के सांसद बनने के बाद राज्यसभा के 19 सत्र चले, जिसमें उनकी उपस्थिति सिर्फ आठ प्रतिशत रही.

जम्मू-कश्मीर में भी करवाए कई काम

इससे पहले बतौर सांसद तेंदुलकर ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास (एमपीलैड) कोष से जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के स्कूल की इमारत के निर्माण के लिए 40 लाख रुपये दिए थे.

इस क्षेत्र के इकलौते स्कूल इंपीरियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूट दुर्गमुल्ला का निर्माण 2007 में हुआ था जिसमें कक्षा एक से 10 तक लगभग 1000 छात्र पढ़ते हैं.

तेंदुलकर के कोष से यहां 10 कक्षाओं, चार प्रयोगशाला, प्रशासनिक ब्लॉक, छह प्रसाधन और एक प्रार्थना हॉल का निर्माण होगा. भारत में क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन के इस कदम की जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी तारीफ की थी.

दरियादिली के लिए जाना जाता है सचिन को

ज्ञात हो, सचिन को उनकी विनम्रता व दरियादिली के लिए जाना जाता है. क्रिकेट खेलने के दौरान उनके साथी ही नहीं प्रतिद्वंदी भी उनके सज्जनता के कायल रहे हैं.

भारत के चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान ने भी उनकी शान में अक्सर कसीदे काढ़े हैं. यह खेल के साथ उनकी विनम्रता का ही असर है कि उन्हें पूरी दुनिया में सम्मान हासिल हुआ.