केरल में निपाह वायरस का आतंक अब तक 12 की मौत

                                                       एनटी न्यूज़/केरल/श्रवण शर्मा         

दक्षिण भारत में केरल के कोझीकोड में निपाह नाम के खतरनाक वायरस का आतंक बढ़ा हुआ है. यह लगातार वहां बढ़ रहा है व इससे कई मौतें भी हो चुकी हैं. इस वायरस से होने वाली बीमारी अलग अलग समय पर दुनिया के कई देशों में मौत का तांडव मचा चुकी है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार निपाह वायरस एक नई उभरती हुई बीमारी है, जो जानवरों और मनुष्यों दोनों को अपना शिकार बना रही है. इसे ‘निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस’ भी कहा जाता है.

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चमगादड़ों के लार मल-मूत्र व पसीने से फ़ैल रहा

ये वायरस चमगादड़ों के मूत्र में मौजूद रहते हैं. इसी तरह उसकी लार और शरीर से निकलने वाले द्रव में भी. पहले ये माना गया कि ये सुअरों से जरिए फैलता है लेकिन बाद में पता चला है कि ये वो सुअर थे जो चमगादड़ों से संपर्क में आए. ये वो चमगादड़ थे जो वनों के कटने और अन्य वजहों से अपने रहने की जगह से उजड़ गए थे.

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WHO की मानें तो 1998 में मलयेशिया के काम्पुंग सुंगई में पहली बार निपाह NIV  इंफेक्शन का पता चला था. इस वायरस का नाम भी उस सुंगई निपाह गांव के नाम पर ही पड़ा जहां पहली बार इस वायरस का पता चला था. बाद में जब ये बीमारी वर्ष 2004 में बांग्लादेश में फैली तो पता लगा कि ये बीमारियां उन लोगों में आई, जिन्होंने वो कच्चा ताड़ का रस पिया, जहां चमगादड़ों का डेरा था.

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चमगादड़

बीमारी के लक्षण

यह वायरस इतना खतरनाक है की इससे पीड़ित व्यक्ति के दिमाक में सूजन भी आ जाती है जिसके चलते वह 24 से 48 घंटे में कोमा में भी जा सकता है.

 

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कोई टीका उपलब्ध नहीं है

WHO की मानें तो इस वायरस से लड़ने के लिए अब तक कोई टीका (वैक्सीन) विकसित नहीं किया गया है और इस वायरस से पीड़ित मरीजों को इंटेसिव सपॉर्टिव केयर देकर ही इलाज किया जा सकता है. इसी आधार पर इस समय पीड़ित मरीजों का ईलाज चल रहा है.

 

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       सुरक्षा के लिए अपनाएं यह नियम

  • पेड़ के नीचे जमीन पर गिरे फल न खाए जाएं.
  • खजूर खाने से परहेज करें ताड़ के पेड़ों से उतरा पानी ना पियें.
फल खाता हुआ चमगादड़
  • फलों को अच्छे से धुलकर तब खाएं.
  • रात के समय खुली जगह पर ना सोयें.
  • रात के समय पेड़ों के नीचे ना खड़े हों.

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  • घर की दीवारों पर बने बाहरी हिस्से के छेदों को मूंद दें.
  • पेड़ के नीचे जमीन पर गिरे फल न खाए जाएं.
  • इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति से मास्क लगाकर ही मिलें.
  • मरीज के शरीर के किसी हिस्से को न छुए.
  • संक्रमित जानवरों से दूर रहें.
  • अपने आसपास साफ़ सफाई का विशेष ध्यान दें.

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