एनटी न्यूज़ / मथुरा / बादल शर्मा
आज मां गंगा का अवतरण दिन है. भागीरथ की कठोर तपस्या के फलस्वरूप मां गंगा पृथ्वी पर समस्त विश्व का कल्याण करने के लिए अवतरित हुईं थीं. ज्येष्ठ मास के द्वितीय पक्ष के दशमी तिथि को गंगा दशहरा के रूप में लोग मनाते हैं.
क्यों मनाया जाता है…
जब मां गंगा भागीरथ के तप से प्रसन्न हुईं तो वह पृथ्वी पर आने के लिए तैयार हो गईं. लेकिन उनके वेग को रोक पाना किसी के वश में नहीं था. अब भागीरथ असमंजस की स्थिति में भगवान शंकर के पास जाकर उनसे विनती की कि वह कुछ उपाय करें. भगवान भोले भंडारी ने अपने भक्त को निराश नहीं किया और अपनी विशाल जटाओं को फैला दिया और मां गंगा का आह्वान किया. मां गंगा अत्यंत वेग से आती हुई जब शिव की जटाओं में समाहित हुईं तो फिर जटाओं में ऐसी उलझीं कि निकल पाने में असमर्थ हो गईं. तब मां ने भगवान शिव से अनुनय किया तो शिव ने उन्हें धीरे से पृथ्वी पर उतारा. तब से मां गंगा धीरे ही बह रही हैं.
धार्मिक नगरी की बढ़ जाती है रौनक
कोई धार्मिक नगरी हो और फिर कोई धार्मिक त्योहार भी आ जाय तो फिर उस नगरी की खुशियां और सकारात्मकता देखते ही बनती है. हम बात कर रहें हैं वृंदावन धाम की. यहां गंगा की अनुपस्थिति में उनकी बहन यमुना में स्नान कर लोग गंगा दशहरा पर पुण्य कमाते हैं. कालिंदी में स्नान, फिर बांकेबिहारी के दर्शन और गंगा दशहरा का पावन पर्व, ये सब मन को आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर कर देते हैं.
यहाँ की वादियों में बिताइए अपने पार्टनर के साथ खुशनुमे पल
लेकिन स्थिति सोचनीय…
वर्तमान में गंगा और यमुना की स्थिति सोचनीय है. आचमन करना भी अब किस्मत में नहीं है क्योंकि गंदगी का अंबार है इन पवित्र नदियों में. इसके लिए सरकारें जितनी जवाबदेह हैं उतना ही हम सब भी जिम्मेदार हैं. इस पर क्या कहते हैं यमुना मंदिर के पुजारी, सुनिए आप भी…
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तथ्य एवं संपादनः योगेश मिश्र