एनटी डेस्क न्यूज/श्रवण शर्मा/नईदिल्ली
भीख मांगने को अपराध ठहराने वाला कानून रद्द करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिए गए एक अहम फैसले कहा है कि जबरन भिक्षावृत्ति कराने वाले गिरोहों पर रोक के लिए अलग से कानून बने.
जनहित याचिका के तहत लिया गया फैसला
अदालत ने कहा कि इस मामले के सामाजिक और आर्थिक पहलू पर अनुभव आधारित विचार करने के बाद दिल्ली सरकार भीख के लिए मजबूर करने वाले गिरोहों पर काबू के लिए वैकल्पिक कानून लाने को स्वतंत्र है. हाइकोर्ट ने यह फैसला हर्ष मंदर और कर्णिका साहनी की जनहित याचिकाओं पर सुनाया, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में भिखारियों के लिए मूलभूत मानवीय और मौलिक अधिकार मुहैया कराये जाने का अनुरोध किया गया था.
भीख मंगवाने वाले गिरोह को सरकार पक़ड़े
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि भीख मांगने को अपराध बनाने वाले बंबई भीख रोकथाम कानून के प्रावधान संवैधानिक परीक्षण में टिक नहीं सकते. पीठ ने 23 पन्नों के फैसले में कहा कि इस फैसले का अपरिहार्य परिणाम यह होगा कि भीख मांगने का कथित अपराध करने वालों के खिलाफ कानून के तहत मुकदमा खारिज करने योग्य होगा. अदालत ने कहा कि इस मामले के सामाजिक और आर्थिक पहलू पर अनुभव आधारित विचार करने के बाद दिल्ली सरकार भीख के लिए मजबूर करने वाले गिरोहों पर काबू के लिए वैकल्पिक कानून लाने को स्वतंत्र है.
नौकरी व भोजन देने में सरकार असमर्थ
अदालत ने इस कानून की कुल 25 धाराओं को निरस्त किया. केंद्र सरकार ने कहा था कि वह भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर नहीं कर सकती, क्योंकि कानून में पर्याप्त संतुलन है और इस कानून के तहत भीख मांगना अपराध की श्रेणी में है. अदालत ने 16 मई को पूछा था कि ऐसे देश में भीख मांगना अपराध कैसे हो सकता है, जहां सरकार भोजन या नौकरियां प्रदान करने में असमर्थ है.
योजना ड्राफ बना और वापस ले लिया गया
हाल ही में कोर्ट ने इस कानून में सुधार न करने और भिखारियों के पुनर्वास के लिए कोई ठोस योजना न बनाने के लिए केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी. गौरतलब है कि केंद्र और दिल्ली सरकार ने कोर्ट को सूचित किया था कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस संबंध में कानूनी सुधार के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया है, लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया गया.
10 साल की सजा तक का प्रावधान
भीख मांगने पर अभी कोई केंद्रीय कानून नहीं है. इस मामले में ज्यादातर राज्य ‘बॉम्बे प्रिवेंशन आॅफ बेगिंग एक्ट 1959’ का अनुसरण करते हैं. इसमे पहली बार भीख मांगते हुए पकड़े जाने पर एक साल और दूसरी बार पकड़े जाने पर तीन से 10 वर्ष तक कैद की सजा का प्रावधान है.
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