एनटी न्यूज डेस्क/श्रवण शर्मा/लखनऊ
हर साल कुल 12 शिवरात्रि आती है जिनमें से सबसे मुख्य महाशिवारात्रि को माना जाता है। लेकिन इसके अलावा जो शिवरात्रि बहुत श्रद्धा पूर्वक मनाई जाती है वह है सावन की शिवरात्रि। इस बार यह 9 अगस्त यानी आज है। सावन मास की शिवरात्रि को बहुत खास माना जाता है।
सावन के शिवरात्रि का महत्व
कहा जाता है कि सावन की शिवरात्रि मनुष्य के सभी पाप को धो देती है। ऐसे में सावन की शिवरात्रि का बड़ा ही महत्व है क्योंकि इसमें व्रत रखने वालों के पाप का नाश होता है और कुवारें लोगों को मनचाहा वर या वधु मिलता है। वहीं, दांपत्य जीवन में प्रेम की प्रगाढ़ता बढ़ती है।
सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय माना जाता है। यही कारण है कि इस महीने में महादेव की पूजा, अराधना का विशेष महत्व होता है। महादेव को खुश करने के लिए उनके भक्त पूरे सावन व्रत रखते हैं तथा शिव का पूजन और अभिषेक भी करते हैं। इस महीने में की गई उपासना का विशेष फल भक्तों को प्राप्त होता है।
पूजा विधि
– सावन शिवरात्रि के दिन सुबह स्नान करने के बाद मंदिर जाएं या घर के मंदिर में ही शिव की पूजा करें.
– मंदिर पहुंचकर भगवान शिव के साथ माता पार्वती और नंदी को पंचामृत जल अर्पित करें. दूध, दही, चीनी, चावल और गंगा जल के मिश्रण से पंचामृत बनता है.
– पंचामृत जल अर्पित करने के बाद शिवलिंग पर एक-एक करके कच्चे चावल, सफेद तिल, साबुत मूंग, जौ, सत्तू, तीन दलों वाला बेलपत्र, फल-फूल, चंदन, शहद, घी, इत्र, केसर, धतूरा, कलावा, रुद्राक्ष और भस्म चढ़ाएं.
– इसके बाद शिवलिंग को धूप-बत्ती दिखाएं.
– सावन की शिवरात्रि के दिन भक्तों को व्रत रखना चाहिए. इस दिन केवल फलाहार किया जाता है. साथ ही खट्टी चीजों को नहीं खाना चाहिए. इस दिन काले रंग के कपड़ों को पहनना वर्जित माना गया है.
व्रत कैसे रहें
व्रत का संकल्प करने की आवश्यकता नहीं है। व्रत का संकल्प तभी होगा यदि तीस दिन के रख रहे हों।
-हर सोमवार को भगवान शंकर का ध्यान करते हुए व्रत करें। शाम को तीसरे पहर के बाद व्रत का परायण करें। शाम को एक ही स्थान पर बैठकर भरपेट अच्छा सात्विक भोजन करें।
- दिन में फलाहार करें। व्रत खोलने से पहले भगवान शंकर का दूध से अभिषेक कर सकें तो उत्तम होगा। ।
-तामसिक भोजन का परित्याग करें। टमाटर, बैंगन आदि का प्रयोग न करें।
– हर सोमवार को व्रत करने का विशेष महत्व है। हर सोमवार को भगवान शंकर का अभिषेक करें काले तिल से।
-ध्यान रखें, व्रतों का संकल्प किया है तो सफेद तिलों से अभिषेक होगा। संकल्प नहीं किया है तो भगवान शंकर का अभिषेक काले तिलों से होगा।
पूजा का ध्यान
-आप नियमित जो भी पूजा जिस भी क्रम में कर रहे हैं करते रहिए।
-गणपति के बाद भगवान शंकर की पूजा करिए। सावन में यही क्रम रखें- पहले पर गणपति, दूसरे पर शंकर जी, तीसरे पर दुर्गा, चौथे पर भगवान विष्णु, पांचवें पर नवग्रह।
-सावन के महीने में ॐ नम: शिवायै का जाप करें। कोशिश करें कि 11, 7 या 3 माला हो जाएं।
-श्रावण मास में शिवरात्रि तक ॐ नम: शिवायै और महामृत्युजंय मंत्र का जाप होता है।
सावन शिवरात्रि पूजा मुहूर्त
निशीथ काल में पूजा का मुहूर्त रात्रि 24:05 मिनट से 24:48 मिनट तक
पारण का समय
10 अगस्त 2018, शुक्रवार को सावन शिवरात्रि व्रत के पारण का समय प्रातः 05:51 से दोपहर 15:43 तक।
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