Monday , 29 April 2024

फिल्म ‘मुल्क’ एक सच्चे हिन्दुस्तानी को ही पसंद आ सकती है : फिल्म रिव्यू

एनटी न्यूजडेस्क/ श्रवण शर्मा/ दिल्ली

मुल्क बनारस के मुराद अली और उसके परिवार की कहानी है, जहां मुराद अली के भाई बिलाल का बेटा आतंकवाद के रास्ते पर निकल पड़ता है; लेकिन मुराद और उसका परिवार इस बात से अनजान है. आतंकवादी होने का आरोप मुराद अली और उसके परिवार पर लग जाता है.

साहब मुझे न्याय दिलवा दीजिए नहीं तो मेरा परिवार भूखों मर जाएगा

अब किस तरह ये परिवार अपनी बेगुनाही साबित करेगा और कैसे अपना खोया हुआ सम्मान वापस पाएगा. यह जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी, क्योंकि ये फ़िल्म आज के समाज के हालात भी दर्शाती और साथ ही आपको आइना भी दिखा जाती है.

यहां का बीडीओ 19 साल से एक ही जगह कार्यरत, करता है मनमानी

 मेरा भारत जैसे शब्द तो नारे ही बन गए हैं

मुल्क के प्रमोशन के दौरान निर्देशक अनुभव सिन्हा से जब यह पूछा गया कि उन्होंने अपनी फिल्म को यह टाइटल क्यों दिया. जवाब में सिन्हा का कहना था कि ‘इसका टाइटल मुल्क इसलिए है कि यह फिल्म हमारे और हमारे देश के बारे में है.

आजकल हम राष्ट्रवाद के बारे में तमाम बातें सुनते रहते हैं और मेरा देश, मेरा भारत जैसे शब्द तो नारे ही बन गए हैं. यह कहना बहुत आसान है कि मैं अपने देश से प्यार करता हूं लेकिन इसके मायने इस कहने से कहीं ज्यादा है.’

डॉक्टर के पत्नी की निर्मम हत्या करने वाला पकड़ा गया, कुबूला गुनाह

ये फिल्म एजेंडे से हट के है

अनुभव सिन्हा जिस भरोसे और आत्मविश्वास से यह बात कहते हैं, उनकी फिल्म उतनी ही खूबसूरती और शिद्दत से यह बात दिखाती और समझाती है. मुल्क का ट्रेलर देखते हुए सबसे पहला डर इसी बात का लगा था कि यह कहीं कोई एजेंडा फिल्म न निकल जाए.

लेकिन यह न सिर्फ अपने टाइटल पर खरी उतरती है बल्कि वक्त और माहौल के हिसाब से भी एकदम मौजूं साबित होती है. इतनी कि यह कहा जा सके कि हमें ऐसी कई फिल्मों की जरूरत है जो अलग-अलग पक्षों के काले-सफेद पहलू दिखा सकें. और सबसे अच्छी बात कि इसके साथ-साथ यह खरा-पूरा मनोरंजन भी करती है.

मथुरा का एक और कंस मामा, जिसने चंद पैसों के लिए अपने ही भांजे कर लिया अपहरण

खूबियां?

ये कोई ऐसी कहानी नहीं है जो लीक से हटके हो पर इसे ख़ास बनती है फ़िल्म की स्क्रिप्ट, इसका स्क्रीनप्ले, इसके डायलॉग्स साथ ही इसकी ख़ूबसूरती इसका निर्देशन है. यहां मैं तारीफ़ करूंगा अनुभव सिन्हा की, जिन्होंने एक बड़े मुद्दे के दूसरे पहलू पर रोशनी डाली है.

अपनी लिखाई और निर्देशन के ज़रिए उन्होंने समाज पर इशारों-इशारों में तंज़ भी कसे हैं, यहां स्वच्छ भारत का भी चुटकी लेते हुए ज़िक्र है और नोटेबंदी का भी. फ़िल्म की लिखाई की ख़ूबसूरती ये है कि फ़िल्म में आपको ना हिंदू दिखता है ना मुसलमान बस दिखता है तो एक लाचार बाप और उसका परिवार जिसके साथ आपकी आंखों में भी आंसू आ जाएंगे.

इस फिल्म में कैटरीना का लुक देखकर हैरान हो जाएंगे आप

पब्लिक रिव्यू:

https://www.youtube.com/watch?v=VzXuiI_K5vs

अभिनय व योगदान

कास्ट एंड क्रू : ऋषि कपूर, तापसी पन्नु, आशुतोष राणा, नीना गुप्ता, मनोज पाहवा, कुमुद मिश्रा, प्रतीक बब्बर
निर्देशन: अनुभव सिन्हा
बैक ग्राउंड स्कोर: मंगेश धाकड़े
कैमरामैन: एवान मलिगन

खबरें यह भी:

पाकिस्तान से आया आतंकी गांधी नगर से दबोचा गया, दिल्ली में धमाके की रची थी साजिस

प्रयास संस्था के बैनर तले हुआ रक्तदान शिविर का आयोजन, 102 लोगों ने किया रक्तदान

भारत में 41.6 यूपी में मात्र 25.2 प्रतिशत बच्चों को ही नसीब हो पाता है पहले घंटे माँ का दूध

आज ही के दिन हुआ था भारत में पहले टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म :रोचक जानकारी

पूर्ण प्रतिबन्ध के बावजूद गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में चल रहे है अश्लील डांस व डीजे