जस्टिस ट्रूडो ने दिया मानवता का सन्देश, कहा- साथ रहकर मतभेदों में प्यार करना सीखिए

एनटी न्यूज़ डेस्क/ अमृतसर

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो बुधवार को पत्नी सोफी, बेटी एला ग्रेस और बेटे जैवियर संग श्री हरमंदिर साहिब पहुंचे. उसके बाद वह जब दरबार से विदा हुए तो इस दौरान उनके चेहरे पर कभी खुशी, कभी आश्चर्य व कभी अद्भुत संतोष की अनुभूति के रंग दिखे.

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो

दरबार साहिब में समाई रूहानियत को देख और महसूस कर अपनी इस अनुभूति को उन्होंने दरबार साहिब के विजिटर बुक में इस प्रकार बयां किया..‘इतनी सुंदर और सार्थक जगह पर हमें इतना सम्मान मिला. हम अनुग्रहित और विनम्र महसूस कर रहे हैं.’

पहनावा भी भारतीय ही था

क्रीम कलर का कढ़ाई वाला पंजाबी सूट पहने जस्टिन ट्रूडो श्रद्धा में डूबे दिखाई दे रहे थे. उनकी पत्नी ने सी ग्रीन कलर का पंजाबी सूट पहना हुआ था.

बेटी एला ग्रेस ने आसमानी रंग का पंजाबी सूट और बेटे जैवियर ने नीले रंग का पंजाबी कढ़ाई वाला सूट व केसरिया रंग के सिर पर बांधे रूमाल में एक पूर्ण पंजाबी परिवार की झलक पेश दी.

ट्रूडो ने भी केसरी रंग का रूमाल सिर पर बांधा. श्री हरमंदिर साहिब के दर्शन के दौरान ट्रूडो लगातार हाथ जोड़े वह विनम्रता का संदेश देते रहे.

पीएम व उनकी पत्नी ने बेलीं रोटियां

ट्रूडो व अन्य परिक्रमा में पहुंचे. घंटाघर गेट के प्रवेश द्वार का मध्य भाग ट्रूडो के प्रवेश के लिए रखा गया. ट्रूडो परिक्रमा करते हुए पहले संगत को हाथ जोड़ अभिवादन करते हुए श्री गुरु राम दास लंगर भवन पहुंचे.

वहां ट्रूडो, उनकी पत्नी व बच्चों ने लंगर के लिए चपातियां बेल कर सेवा की. वह परिवार संग लंगर भवन हाल में भी गए.

यहां संगत को लंगर छकते उन्होंने देखा, परंतु खुद लंगर न तो छका और न ही लंगर के बर्तनों की सेवा की. एसजीपीसी ने इसके लिए भी अलग से व्यवस्था की हुई थी.

अमृतसर में बुधवार कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने परिवार के साथ श्रीहरिमंदिर साहिब में माथा टेकने के बाद लंगर भवन में सेवा भी की. इस दौरान पत्नी और बच्चों के साथ रोटी बेलते ट्रूडो.

हमें साथ रहने और मतभेदों को प्यार करने के लिए सीखना चाहिए

जस्टिन ट्रूडो ने ट्री ऑफ होम में अपने संदेश में कहा कि म्यूजियम एक मशहूर अनुस्मारक है कि लोगों को विभाजित करने का कोई जवाब नहीं है; हमें एक साथ रहने और हमारे मतभेदों को प्यार करने के लिए सीखना चाहिए.’

उन्होंने अपने शिष्टमंडल के साथ यहां 25 मिनट बिताए और पार्टिशियन म्यूजियम के अंदर इंडो-पाक बंटवारे की कहानियां सुनीं.

कनाडा के पीएम ने म्यूजिम के अंदर बने कुएं पर कुछ मिनट बिताए. रावलपिंडी (पाक) के गांव थोहा खालसा का कुआं इस म्यूजियम में बनाया गया, जिसमें बंटवारे के दौरान 96 बहादुर सिख महिलाओं ने अपनी इज्जत बचाने के लिए कूद कर अपनी जान दे दी थी. इस हादसे को उन्होंने बहुत ही दर्दनाक बताया.

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