…तो इसलिए बिप्लब देब और जिष्णु देब को दी जा रही है ‘त्रिपुरा की कमान’

एनटी न्यूज़ डेस्क/ राजनीति

कई दिनों की मशक्कत के बाद पूर्वोत्तर भारत के राज्य त्रिपुरा के लिए भारतीय जनता पार्टी सरकार गठन में कामयाब हो गयी है. 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए और राज्य में शासन को बेहतर तरीके से चलाने के लिए एक मुख्यमंत्री और एक उप-मुख्यमंत्री होगा. इस पहाड़ी राज्य के अगले मुख्यमंत्री बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब होंगे. इन्हीं के नेतृत्व में भाजपा ने राज्य में पहली बार 35 सीट जीती हैं. बिप्लब देब और जिष्णु देब राज्य के अगले मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री होंगे.

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क्या है इस राज्य में भाजपा का गणित

साल 2013 के चुनाव में भाजपा के पास एक भी सीट नहीं थी. अगरतला में बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टी के विधायकों की बैठक में देब को नेता के रूप में चुना गया. इसमें बीजेपी की ओर से केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मौजूद थे. नितिन गडकरी ने ही मीडिया को यह जानकारी दी.

उधर, जिष्णु देब बर्मन को डिप्टी सीएम बनाया गया है. सूत्रों के मुताबिक, 8 मार्च को शपथ ग्रहण होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद रहेंगे.

कौन हैं नए मुख्यमंत्री बिप्लब देब?

बिप्लब कुमार देब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हैं. वह 48 साल के हैं. उनका जन्म उदयपुर, राजस्थान में हुआ था. वे पश्चिम त्रिपुरा की बनमालीपुर सीट विधायक हैं.

उन्होंने त्रिपुरा यूनिवर्सिटी से 1999 में ग्रेजुएट किया. और वह काफी समय से समाजसेवा के काम करते आ रहे हैं. उनकी छवि बेहद ही साफ-सुथरी है.

विपल देब के ऊपर किसी प्रकार का कोई भी क्रिमिनल केस दर्ज नहीं है. उन्होंने चुनाव के दौरान दायर किए हलफनामे में अपनी कुल प्रॉपर्टी 5.85 करोड़ बताई.

त्रिपुरा के नवनिर्वाचित नेता काफी समय से संघ से जुड़े रहे हैं. उन्होंने संगठन में रहकर काम किया है. वह बीजेपी के थिंक टैंक रहे केएन गोविंदाचार्य के साथ काम कर चुके हैं.

बिप्लव को क्यों सौंपी जा रही है जिम्मेदारी?

बिप्लब देब की अगुवाई में बीजेपी इस बार चुनाव लड़ा लेकिन इससे पहले भी भाजपा पिछले 35 साल से इस राज्य के चुनावों में हिस्सा ले रही है. लेकिन कभी भी अपना जनाधार नहीं बना पाई थी.

पिछले ही चुनाव में यानी 2013 के चुनाव में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी. अब उसे बिप्लब देब की अगुवाई में 35 सीट मिली हैं.

बिप्लब देब अपनी बात जनता तक पहुंचाने में कामयाब रहे. बिप्लब ने त्रिपुरा में जमीनी स्तर पर काम किया.

इस चुनाव से पहले उन्होंने कहा था कि राज्य में लेफ्ट की सरकार 25 सालों से जनता का बेवकूफ बना रही है. यहां भरपूर नेचुरल रिसोर्स होने के बावजूद यह देश का सबसे गरीब राज्य है.

उन्होंने प्रदेश की जनता से वादा किया था कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो इसे मॉडल स्टेट बनाया जाएगा. बिप्लब अपनी यह बात जनता तक पहुंचाने में कामयाब रहे.

उनकी अगुआई में कई लेफ्ट समर्थक बीजेपी में आए. फरवरी के पहले हफ्ते में उन्होंने 1600 से ज्यादा लेफ्ट सपोर्टर्स के बीजेपी में आने का दावा किया था.

कौन हैं त्रिपुरा के उप-मुख्यमंत्री…?

जिष्णु देब बर्मन राज्य बीजेपी के जनजाति मोर्चा के संयोजक हैं. हालांकि, वे अभी विधायक नहीं चुने गए हैं. उन्होंने चारिलाम सीट से पर्चा भरा था, लेकिन यहां लेफ्ट कैंडिडेट की मौत के बाद चुनाव रद्द कर दिए गए थे. इस सीट पर 12 मार्च को चुनाव होगा.

बीजेपी-आईपीएफटी में दरार

त्रिपुरा में 59 सीटों के लिए चुनाव हुए, जिनमें से 35 पर बीजेपी और 8 सीटों पर उसके सहयोगी दल इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के उम्मीदवार जीते हैं.

एक सीट पर सीपीएम उम्मीदवार के निधन के कारण मतदान रद्द कर दिया गया था. आईपीएफटी ने कहा है कि अगर उसे सरकार में अहम जिम्मेदारी नहीं मिली तो वो बाहर से ही समर्थन देगी.

आईपीएफटी की इस मांग पर बीजेपी ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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