कोरोना योद्धा: उन्नाव का यह पुलिस अधिकारी बना भूखों के लिए मसीहा

एनटी न्यूज़डेस्क/श्रवण शर्मा/लखनऊ

उन्नाव : श्रीमद भागवत गीता में कहा ही गया है कि, मानवता की सेवा अर्थात ‘नर सेवा ही नारायण सेवा’ है। इसी कथन के मार्ग पर चलकर उन्नाव के रहने वाले 2017 बैच के डिप्टी एसपी मयंक तिवारी ने मानवता की अनोखी अलख जगाई है। जहां दुनिया कोरोना जैसी महामारी से त्रस्त है वहीं मयंक जरूरतमंदों की सेवा में कोरोना-योद्धा के तौर पर अपने जीवन का स्वर्णिम इतिहास रच रहे हैं। उनके क्षेत्र में कोई दिव्यांग, दिहाड़ी मज़दूर व प्रवासी इस महामारी में भूखा ना सोए इसके प्रबंध के लिए उन्होने ‘जनता रसोई’ की शुरुवात की जिसके बाद अब वह घर-घर, राह-राह जरूरतमंदों को ‘राशन-किट’ भी दे रहे हैं।

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जनता-रसोई- हर दिन 400 लोगों को पौष्टिक पका-भोजन

लॉकडाउन लगते ही ‘जनता रसोई’ मयंक ने अपने परिवार के सहयोग से ही शुरू कर दिया था। जो की 26 मार्च से 15 अप्रैल तक चला जिसमें हर दिन पूरे 400 लोगों को पौष्टिक पका-भोजन दिया गया। इसके साथ ही अब प्रत्येक सप्ताह मयंक माता-पिता व भाई के साथ गाँव-गाँव जाकर 100 पैकेट भोजन लोगों को दे रहे हैं। मयंक ने न्यूजटैंक से बताया कि “लॉकडाउन कि घोषणा होने के बाद प्रवासी व गरीब जिस तरह भूखे सड़कों पर सैकड़ो किलोमीटर पैदल चले जा रहे थे यह मेरे परिवार से देखा ना गया। जिसके बाद मैं मेरे भाई अभिषेक तिवारी, माता मिथलेश तिवारी, पिता विमलेश तिवारी, राजीव पांडे, प्रियाशु, राजे सर, नीतू, सभी ने मिलकर यह शपथ ली कि इस मुसीबत कि घड़ी में हम हर जरूरतमन्द तक अपनी क्षमता के अनुसार मदद पहुंचाएंगे।“

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राशन-किट से घर-घर पहुँच रहा हर जरूरतमन्द तक राशन

झुग्गी झोपड़ी इलाके में लोग कई दिनों से काम पर नहीं जा रहे। ये लोग दिहाड़ी मजदूर हैं जो रोज़ कमाते और रोज़ राशन खरीद कर खाते हैं। लॉकडाउन के समय इन लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है। इसलिए कोई दिव्यांग,विधवा,दिहाड़ी-मजदूर या प्रवासी लॉक-डाउन में भूखा ना रहे उसके लिए हम राशन-किट लेकर ऐसे घरों में खुद पहुँच रहे हैं जिन जरूरतमन्दों को इसकी असलियत में जरूरत है। जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को हम हर सप्ताह पाँच किलो आटा, तीन किलो चावल, दो किलो प्याज़, एक किलो नमक, 100 ग्राम सब्ज़ी मसाला, तीन किलो आलू, व एक किलो दाल दे रहे हैं। मेरे इस प्रयास में मेरा परिवार व पुलिस डिपार्टमेन्ट के मेरे कई दोस्त जैसे राजे सर, नीतू, रमेश व अन्य लोग शामिल हैं।

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ईश्वर सबको इतना देता है की वह मानवता के लिए कुछ कर सके

मयंक ने बाताया कि “ऐसे वक्त में जब देश कोरोना संकट से जूझ रहा है वहीं भारतियों ने अपना दिल खोल दिया है। जिसकी जितनी क्षमता है वह इस मुसीबत की घड़ी में जरूरतमंदों की मदद के लिए हांथ बढ़ा रहे हैं।  हालांकि बहुत से लोग हैं जो न किसी संगठन से हैं और ना ही किसी राजनीतिक पार्टी से वह बस अपना धर्म निभा रहे हैं। इसलिए मैं यही कहूँगा ईश्वर सबको इतना जरूर देता है कि वह मानवता के लिए कुछ कर सकें। आप सब आगे आएँ और पुण्य का भागीदार बनें। कोशिश करें कि कोई भी व्यक्ति भूखा ना सोए और पलायन को मजबूर ना हो ताकि कोरोना के संक्रमण को रोका जा सके।“

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पुलिस कि सकारात्मक छवि, कहीं फूल बरसें, कहीं रही विवादो में

कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के दौरान पुलिस के कई रूप देखने को मिले। कहीं उनपर फूलों की वर्षा कि गई व कई बार वह अपने सख्त रवैये के लिए विवादों में रही। इस विषय पर बात करते हुए डिप्टी एसपी मयंक तिवारी ने कहा कि “पुलिस विभाग जनता कि सेवा के लिए ही दिन-रात मुस्तैद रहती है। ऐसे में पुलिस का मूल-कर्तव्य कानून व्यवस्था व लोक व्यवस्था को स्थापित रखते हुए अपराध पर नियंत्रण, उसके निवारण व जनता से प्राप्त शिकायतों का निस्तारण करना है। लॉकडाउन के समय हम बिलकुल ऐसा ही कर रहे हैं। मौजूदा समय में पुलिस हर जरूरतमन्द के साथ खड़ी है लेकिन जो कानून कि अवहेलना करेगा उसके साथ बल प्रयोग करने में हमें कोई गुरेज नही होगा। इसलिए जनता से अपील है लॉकडाउन तक घर में रहें एहतियात बरतें व शांति-व्यवस्था बनाए रखने में प्रशासन का सहयोग करें।”

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