Saturday , 27 April 2024

WHO ने कोरोना से भी घातक महामारी Disinfodemic से दुनिया को किया अगाह

कोरोना अलर्ट – पूरी दुनिया पिछले करीब चार महीने से घातक वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से जूझ रही है। कोरोना वायरस से दुनिया भर में अब तक तकरीबन 20 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं और सवा लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इन सबके बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया को कोरोना से भी घातक एक और महामारी से सावधान किया है। WHO द्वारा इस महामारी को Disinfodemic नाम दिया गया है।

क्या है Disinfodemic..?

WHO के मुताबिक कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया परेशान है। संकट के इस दौर में सूचनाओं के अंबार के बीच, दुनिया भर में निराधार और झूठी जानकारियां बहुत तेजी से फैलाई जा रही हैं। इन झूठी जानकारियों की इतनी भरमार हो चुकी है कि दुनिया भर के तमाम टिप्पणीकार उस गलत जानकारी का मीडिया, सोशल मीडिया प्लेटफार्म अथवा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हवाला देने लगे हैं। कोरोना वायरस से जुड़ी ऐसी ही झूठी जानकारियों, दुष्प्रचार और भ्रामक खबरों को WHO ने Disinfodemic नाम दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार डिसइन्फोडेमिक भी किसी महामारी से कम नहीं है।

कितना खतरनाक है Disinfodemic

WHO के मुताबिक मौजूदा नाजुक वक्त में गलत जानकारियों व भ्रामक सूचनाओं की वजह से दुनिया भर में बहुत सी जिंदगियां खतरे में पड़ रही हैं। विश्वि स्वास्थ्य संगठन ने ये भी खतरा जताया है कि भ्रामक सूचनाओं में पड़कर बहुत से लोग अपने लक्षणों का इलाज गैर-साबित तरीकों से इस उम्मीद के साथ कर रहे हैं कि इससे वो ठीक हो जाएंगे। ऐसे में उनकी जान को भी खतरा हो सकता है।

Disinfodemic के खिलाफ यूनेस्को की मुहिम

Disinfodemic के खतरे को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को (UNESCO) ने भ्रामक सूचनाओं का मुकाबला करने के लिए मुहिम चलाई है। इस मुहिम के तहत ज्यादा से ज्यादा लोगों तक कोरोना वायरस से संबंधित सही सूचनाएं पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। यूनेस्को के मुताबिक हाल के वर्षों में सूचनाओं के आदान-प्रदान के तरीकों ने राजनैतिक, तकनीकि, आर्थिक और सामाजिक बदलाव पर असर डाला है। इसमें संगठित तरीके से एक रणनीति के तहत चलाए गए दुष्प्रचार अभियान भी शामिल हैं।

कोरोना संबंधित अफवाहें आम बात हो गई है

यूनेस्को के संचार व सूचना संबंधी नीतियों व रणनीतियों की जिम्मेदारी संभालने वाले निदेशक गाई बर्जेर के अनुसार इन दिनों कोरोना वायरस के बारे में गलत जानकारियां या अफवाहें आम बात बन चुकी हैं। इन भ्रामक सूचनाओं से दुनिया का कोई क्षेत्र अछूता नहीं है। दुनिया भर में सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस की वजहों, इसकी रोकथाम व इलाज आदि को लेकर तमाम तरह की भ्रामक सूचनाएं प्रसारित की जा रही हैं। अनजाने में कई मशहूर हस्तियां भी इन झूठी सूचनाओं को प्रसारित कर रही हैं।

भरोसेमंद मीडिया संस्थान की अहम भूमिका

निदेशक गाई बर्जेर के अनुसार भ्रामक सूचनाओं को रोकने के लिए जरूरी है कि सरकारें और पारदर्शी हों और सही आंकड़े पेश करे। सूचना के अधिकार जैसे कानूनों को सशक्त बनाया जाए। दुष्प्रचार के खिलाफ एक ताकत के रूप में पत्रकारिता को पहचान दी जाए। सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी भरोसेमंद जानकारी के लिए भरोसेमंद मीडिया संस्थानों की भूमिका बेहद अहम है, क्योंकि मीडिया खुले रूप से सार्वजनिक पटल पर काम करता है। सही जानकारी के लिए लोगों को भरोसेमंद मीडिया संस्थानों की खबर पर ही यकीन करना चाहिये।