चारा घोटाला : लालू सहित 19 को अब तक की सबसे बड़ी सजा, साथ में 60 लाख का जुर्माना भी

एनटी न्यूज़ डेस्क/ चारा घोटाला

दुमका कोषागार से 3.76 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाले के मामले में सीबीआई के विशेष जज शिवपाल सिंह की अदालत ने शनिवार को 19 दोषियों को सजा सुनाई. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद प्रमुख लालू प्रसाद तथा पशुपालन विभाग दुमका के तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक ओम प्रकाश दिवाकर को दो अलग-अलग धाराओं में सात-सात साल की सजा सुनाई गई और 30-30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.

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दोनों सजाएं अलग-अलग चलेंगी. इस तरह दोनों को 14-14 साल की सजा काटनी होगी तो 60-60 लाख जुर्माना भी देना होगा. जुर्माना नहीं देने पर दो-दो वर्ष की अतिरिक्त सजा काटनी होगी. चारा घोटाले के इस चौथे मामले में लालू को सबसे अधिक सजा मिली है.

सात-सात साल की सश्रम सजा

कोर्ट ने दोषी करार अन्य 17 अभियुक्तों को साढ़े तीन वर्ष से लेकर सात साल तक की सश्रम सजा और 15 लाख से 30 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया. जुर्माना नहीं देने पर दोषियों को नौ माह से दो वर्ष तक की अतिरिक्त साधारण सजा काटनी होगी.

कोर्ट ने लालू व ओपी दिवाकर सहित 12 सरकारी सेवकों को आइपीसी व पीसी (प्रीवेंशन ऑफ करप्शन) एक्ट की धारा में सजा सुनाई तो सात आपूर्तिकर्ताओं को केवल आइपीसी के तहत सजा सुनाई.

12 लोगों को किया गया बरी

दुमका कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में कोर्ट ने 19 मार्च को 31 में से 19 अभियुक्तों को दोषी करार दिया था. पांच नेताओं सहित 12 को बरी कर दिया था.

बरी होने वालों में बिहार के पूर्व सीएम डॉ. जगन्नाथ मिश्र, डॉ. आरके राणा, ध्रुव भगत, विद्यासागर निषाद व जगदीश शर्मा शामिल थे.

149 पर हुई थी चार्जशीट, 19 दोषियों को मिली सजा

दुमका कोषागार से 3.76 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला मामले में 49 अभियुक्तो पर अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई थी. इसमें अदालत ने 19 दोषियों को सजा सुनाई.

यह निकासी 1995 से 96 के बीच की गई थी. मामले को लेकर सबसे पहले दो फरवरी, 1996 को दुमका टाउन थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. बाद में मामला सीबीआई को सौंपा गया.

सीबीआई ने 11 अप्रैल, 1996 को प्राथमिकी दर्ज कर जांच प्रारंभ की. प्राथमिकी तीन करोड़ 13 लाख 41 हजार 451 रुपये की अवैध निकासी को लेकर हुई.

सीबीआई की जांच के बाद दुमका कोषागार से कुल 3.76 करोड़ रुपये की अवैध निकासी की बात सामने आई. जबकि 1995-96 के बीच का मूल आवंटन 1.5 लाख रुपये ही था.

प्राथमिकी में 48 लोगों को आरोपित किया गया था. सीबीआई की जांच के क्रम में एक और नाम जुड़ गया. मामले में कुल 49 अभियुक्तों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई.

49 अभियुक्तों में तीन सरकारी गवाह बन गए थे. इसमें एक सरकारी गवाह का निधन हो गया. एक आरोपित दुमका के तत्कालीन कमिश्नर एसएन दुबे पर लगे आरोप उपरी अदालत से निरस्त हो गए थे.

ट्रायल के दौरान 14 अभियुक्तों का निधन हो गया. कुल बचे 31 अभियुक्तों पर अदालत ने 19 मार्च को फैसला सुनाया. इसमें 12 अभियुक्तोंको बरी किया गया.

मृत अभियुक्तों की संपत्ति की जांच करे सीबीआई: कोर्ट

अदालत ने इस मामले में दोषी और ट्रायल फेस करने के दौरान जिन अभियुक्तों का निधन हो गया, उनकी 1990 के बाद की अर्जित संपत्ति की जांच सीबीआई से कराने व जांच के बाद ईडी को सूचित करने का आदेश दिया है.

स्पष्ट जानकारी नहीं दिए जाने पर उसे अवैध संपत्ति घोषित करते हुए जब्त करने व राज्य सरकार को सौंपने का भी अदालत ने आदेश दिया है.

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