एनटी न्यूज़ डेस्क / लखनऊ
आज ज्येष्ठ मास का अंतिम मंगलवार है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ज्येष्ठ महीने के हर मंगलवार को बजरंग बली के भक्तों द्वारा विशाल भंडारों का आयोजन किया जाता है. इस दिन नगर के सभी हनुमान मन्दिरों में श्रद्धालुओं द्वारा हनुमान जी की भव्य पूजा-अर्चना की जाती है.
इस ज्येष्ठ में रहे ज्यादा मंगलवार
पढ़िए, लखनऊ से शुरू हुए हनुमान जी के बड़ा मंगल की कहानी, जो हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है
हर साल के ज्येष्ठ मास से इस वर्ष के ज्येष्ठ माह में काफी अंतर रहा. आप जानना चाहते होंगे कि ऐसा क्यों? तो हम आपके इस प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं. इस वर्ष पुरुषोत्तम मास या अधिक मास भी था जो कि ज्येष्ठ मास के साथ जुड़ा था.
संस्कृति हत्याकांडः पुलिस की कार्रवाई तेज, संदिग्ध मोबाइल नंबर की छानबीन शुरू
क्या है पुरुषोत्तम मास?
हिंदू धर्म में अधिक मास को बहुत ही पवित्र और पुण्य फल देने वाला माना गया है. अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं. इस महीने में भगवान पुरुषोत्तम की पूजा करने व श्रीमद्भागवत की कथाएं सुनने, मंत्र जाप, तप व तीर्थ यात्रा का भी बड़ा महत्व है. इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है. अधिक मास में विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञोपवित जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.
बांग्लादेशी संदिग्ध पकड़ा गया, गुप्तरूप में नौ साल से रह रहा था
कब आता है अधिक मास
32 महीने, 16 दिन, 1 घंटा 36 मिनट के अंतराल से हर तीसरे साल अधिक मास आता है. ज्योतिष में चंद्रमास 354 दिन व सौरमास 365 दिन का होता है. इस कारण हर साल 11 दिन का अंतर आता है जो 3 साल में एक माह से कुछ ज्यादा होता है. चंद्र और सौर मास के अंतर को पूरा करने के लिए धर्म शास्त्रों में अधिक मास की व्यवस्था की गई है.
25 जून 1975 : आपातकाल के इतिहास को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिये
कुल नौ मंगलवार, मंगल ही मंगल
पहला बड़ा मंगल एक मई 2018 को मनाया गया. दूसरा बड़ा मंगल 8 मई 2018, तीसरा बड़ा मंगल 15 मई 2018, चौथा बड़ा मंगल 22 मई 2018, पांचवा बड़ा मंगल 29 मई 2018, छठा बड़ा मंगल 5 जून 2018, सातवां बड़ा मंगल 12 जून 2018, आठवां बड़ा मंगल 19 जून 2018 तथा नवां बड़ा मंगल 26 जून 2018 को रहे.
संस्कृति की नृशंस हत्या पर कार्रवाई न होने से छात्रों में आक्रोश
आज के भंडारों में अधिक रौनक
पिछले आठ मंगलवारों की तरह इस मंगलवार भी भंडारों में रौनक रही. जगह-जगह, मंदिरों, सड़कों के किनारे कहीं हलवा-पूड़ी, पूड़ी-सब्जी, कढ़ी-चावल तो कहीं ठंडे शरबत का वितरण किया गया. कोई भी सबने भंडारे का प्रसाद चखा. भंडारों के साथ-साथ साउंड में चलते गाने भंडारे में चार चांद लगाने का काम करते हैं.
संस्कृति को श्रद्धांजलि, लगे ‘वी वांट जस्टिस’ के नारे, निकाला कैंडल मार्च