…तो क्या एक बार फिर ‘मोदी और प्रशांत’ मिलकर देशभर में खिलाएंगे ‘कमल’

एनटी न्यूज़ डेस्क/ राजनीति/ योगेन्द्र त्रिपाठी

आम चुनावों की आमद हो चुकी है. सरकार अपने घोषणापत्र में किए गये वादों की डिलेवरी देने के साथ-साथ, अब जनता के बीच अपने पांच साल के काम-काज का लेखा-जोखा भी पेश करना शुरू कर चुकी है. ऐसे में एक बड़ा सवाल यह उठता है कि मौजूदा सरकार अपनी पार्टी की नैया पार लगाने के लिए किस तरह के रणनीतिकारों के भरोसे मैदान में उतरेगी. खबर आ रही है कि 2014 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की नैया पार लगाने में अहम् किरदार अदा कर चुके प्रशांत किशोर एक बार फिर पार्टी का साथ देंगे और आम चुनावों में पार्टी के लिए चुनावी रणनीति तैयार करने में अहम् भूमिका अदा करेंगे.  आम चुनावों के बाद प्रशांत किशोर भाजपा से नाराज़ हो गये थे, जिसकी मुख्य वजह खुद पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह थे.

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2014 में निभाई थी बड़ी भूमिका

2019 में आम चुनाव में भाजपा पर इतिहास दोहराने का दबाव है. अब सवाल ये उठता है कि क्या प्रधानमंत्री उसी रणनीतिकार के साथ दोहारा काम करेंगे, जिसने उन्हें 2014 चुनाव में प्राचंड़ बहुमत दिलाई थी.

अगर ख़बरों की मानें तो 2019 के लोकसभा चुनावों में भी प्रशांत किशोर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव अभियान की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं.

बताया जा रहा है कि हाल ही में दोनों दिग्गजों की मुलाकात हुई थी. संभावनाएं हैं कि प्रशांत एक बार फिर मोदी के चुनावी रथ के सारथी बन सकते हैं.

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चुनावों के लिए प्रशांत की है बड़ी पहचान

पिछले कुछ सालों में प्रशांत किशोर ने अपनी एक अलग ही पहचान बना ली है. पहले तो 2012 में गुजरात विधानसभा चुनाव और फिर 2014 में लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की जीत के बाद प्रशांत किशोर पर सबकी नजर थी. लेकिन कुछ ऐसे कारण बने, जिसकी वजह से मोदी और प्रशांत की राह अलग हो गई.

खबरों के अनुसार पिछले छह महीने से प्रधानमंत्री मोदी और प्रशांत किशोर दोनों एक-दूसरे के संपर्क में हैं. दोनों के बीच बातचीत हुई है.

इस बैठक में आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मोदी टीम में प्रशांत किशोर की भूमिका पर चर्चा हुई. खबरों के अनुसार प्रशांत किशोर की मुलाकात बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से भी हुई है.

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शाह-प्रशांत के बीच हुआ था मनमुटाव

पिछले लोकसभा चुनाव के बाद प्रशांत किशोर का भाजपा से अलग होने का कारण अमित शाह और उनके बीच मनमुटाव बताया जा गया था.

किशोर अगर एख बार फिर बीजेपी के साथ काम करते हैं तो जाहिर सी बात है कि वह सीधे पीएम मोदी के प्रचार अभिययान की कमान खुद संभालेंगे.

बता दें कि टीम मोदी से अलग होने के बाद प्रशांत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संपर्क में आए और महागठबंधन के लिए काम किया, जिसके आगे खुद बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा.

इसके बाद साल 2016 में किशोर कांग्रेस से जुड़े. हाल ही में वो आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के लिए काम कर रहे थे.

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