एनटी न्यूज़ डेस्क / लखनऊ / योगेश मिश्र
उत्तर प्रदेश हमेशा से सड़क दुर्घटनाओं में अव्वल रहा है. इस वर्ष प्रदेश में कुल 114 बड़ी सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिसका एक नमूना आज सुबह मैनपुरी में घटित हुआ. साल 2017 में सड़क दुर्घटना के कुल 38,811 मामलों में 20,142 लोग मौत के घाट उतर गए और 27,507 अन्य घायल हुए. परिवहन विभाग के रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश एक बार फिर सड़क दुर्घटनाओं में आगे रहा.
यह है पिछला आकड़ा…
साल 2016 की अपेक्षा इन दुर्घटनाओं में 4.25% की वृद्धि दर्ज हुई है. 2017 में गत वर्ष से 822 अधिक मौतें हुई थीं.तत्कालीन अपर सड़क सुरक्षा अधिकारी गंगाफल के अनुसार, वर्ष 2015 व 2016 में क्रमशः 9.36% व 8.46% वृद्धि दर्ज हुई थी, उस नजरिये से तो 2017 में 4.25% ही वृद्धि दर्ज हुई है. लेकिन अभी भी उत्तर प्रदेश देश में सड़क दुर्घटनाओं में नम्बर वन है.
जहां वर्ष 2014 में सड़क दुर्घटनाओं में हुई मौतों की संख्या में 1.76% की वृद्धि रही वहीं 2013 में यह आकड़ा घटते क्रम में रहा तथा (-0.89%) की कमी दर्ज हुई. लेकिन यह 2015 में 8.46% तथा 2016 में 9.36% रहा
एक विश्लेषण के अनुसार…
उत्तर प्रदेश के कुल 75 जिलों में से केवल दो दर्जन जिले इस मामले में सबसे आगे रहे.
प्रतिशत के मामले में संत कबीरनगर, मुरादाबाद, रामपुर, फैजाबाद और उन्नाव जिलों में सड़क दुर्घटनाओं से मौतों का आकड़ा सबसे ऊपर रहा. संत कबीरनगर 53% की वृद्धि के साथ सर्वोच्च स्थान पर रहा.
विश्लेषण में आगे है कि- लखनऊ, कानपुर नगर, आगरा, मथुरा और उन्नाव जिले संख्या के मामले में सबसे आगे रहे.
लखनऊ 665 मौतों के साथ पहले तथा दूसरे स्थान पर कानपुर नगर रहा जहां 628 मौतें सड़क दुर्घटनाओं के कारण हुईं.
उत्तर प्रदेश के करीब डेढ़ दर्जन जिले सड़क दुर्घटनाओं में अव्वल रहे साथ ही पूरे देश में उत्तर प्रदेश इस मामले में सबसे ऊपर है. इन दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले सबसे अधिक वह रहे जिन्होंंने हेलमेट व सीटबेल्ट आदि का प्रयोग नहीं किया था.
तथ्य संकलन एवं संपादनः योगेश मिश्र
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