“गोलगप्पे की दुनिया” से निकल यशस्वी ने थामा बल्ला, अंडर 19 में हुआ सेलेक्ट

एनटीन्यूज डेस्क/मुंबई/श्रवण शर्मा

क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले  सचिन तेंदुलकर ने एक क्रिकेटर को अपने घर बुलाया और गिफ्ट में एक बल्ला दिया। यह खिलाड़ी कोई खास नहीं बल्कि उत्तरप्रदेश के एक छोटे-से निकला 17 वर्षीय यशस्वी जायसवाल है। अंडर-19 टीम में सिलेक्ट हो चुके यशस्वी अब अर्जुन तेंदुलकर के साथ श्रीलंका खेलने जाएंगे।

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गोल-गप्पे बेचे

अपने खर्चों के लिए कई बार यशस्वी ने सड़कों पर पानीपुरी (गोलगप्पे) बेचने के काम भी किया है। दशहरे के मेले में कुछ घंटे पानीपुरी बेचने के बदले में यशस्वी को 40 से 50 रुपए की कमाई होती थी। इसके साथ ही इनाम के तौर पर एक प्लेट पानीपुरी भी मिलती थी। क्रिकेट में बढ़िया खेलने पर मिलने वाले 200 या कभी-कभी 300 रुपयों से उनका पूरे हफ्ते का खर्चा निकल जाता था। जहां एक तरफ दूसरे क्रिकेटर्स अपने साथ घर से बनाया हुआ लंच लाया करते थे तो वहीं यशस्वी खुद अपने लिए भोजन तैयार करता था।

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दुकान चलाते हैं यशस्वी के पिता

यशस्वी के पिता भूपेंद्र जायसवाल की सुरियावां में एक छोटी सी हार्डवेयर की दुकान है। भूपेंद्र भी अपने जमाने मे क्रिकेट के खेल जनपद में काफी नाम किये हैं । यशस्वी के बारे में पूछने पर भूपेंद्र ने बताया कि यशस्वी को बचपन से ही क्रिकेट के प्रति जुनून था । भूपेंद्र की गणना 90 के दशक में तेज गेंदबाजों में होती थी यशस्वी को प्रैक्टिस कराते समय सात साल के यशस्वी को आउट करना उनके लिए सबसे कठिन काम होता था । यशस्वी जिद करता कि पापा मुझे आउट करो तब प्रैक्टिस बन्द करूँगा । यशस्वी की सफलता का श्रेय उसकी क्रिकेट के प्रति कड़ी मेहनत को दिया ।

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भदोही से मुंबई

यशस्वी और तेजस्वी दोनों सगे भाई हैं और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के जिले भदोही के सुरियावां नगर से आते हैं जिस जिले की कारेपट पूरी दुनिया में मशहूर है।  पिता दोनों को 2009 में एक साथ मुंबई में लेकर और यशस्वी ने जिंदगी सारी जद्दो जहद को झेला और सफल हुआ। मुंबई के घरेलू मैंच में 319 रन का जहां रिकार्ड बनाया वहीं 13 विकेट भी लिए। 2017 में इसका चयन मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन में अंडर-16, 19 और 23 के लिए हुआ। मुंबई प्रीमियर लीक के लिए भी इसने खेला।

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सोशल मीडिया से दूर 

जहां छोटी-सी उम्र में ही बच्चे सोशल मीडिया के चुंगल में फस जाते हैं ऐसे में यशस्वी के पास न तो कोई स्मार्टफ़ोन है और ना ही वो किसी सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं। वो अपने खेल को लेकर बेहद फोकस रहते हैं। उन्होंने पिछले 5 सालों में करीब 49 शतक लगा दिए हैं। यही वजह रही है कि अब उसका सिलेक्शन श्रीलंका जाने वाली अंडर-19 क्रिकेट टीम में हुआ है, जहां यशस्वी के साथ सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर भी खेल रहे होंगे।

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कोच

इन्ही दिनों में युवा खिलाड़ी यशस्वी जायसवाल को कोच ज्वाला सिंह का साथ मिला। उसके टैलेंट को पहचान कर ज्वाला सिंह ने यशस्वी का पूरा खर्चा उठाने का जिम्मा अपने सिर ले लिया। धीरे-धीरे यशस्वी ए डिवीज़न के बॉलर्स की बहुत बढ़िया धुनाई करने लग गया।

सचिन ने बुलाया था घर 

यशस्वी की प्रतिभा के कायल क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर भी हैं। उनके पिता बताते हैं कि सचिन ने यशस्वी को अपने घर भी बुलाया था और खेल के गुर सिखाने के बाद खुद के हस्ताक्षर वाला बैट सौंपा था। सचिन के बेटे का भी अंडर-19 टीम में चयन हुआ है लेकिन वह टेस्ट टीम में चुने गए हैं। यशस्वी के अंदर महज पांच साल की उम्र से क्रिकेट का जुनून सवार था।

अर्जुन तेंडुलकर से है दोस्ती 

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यशस्वी ने 10 साल की उम्र में मुंबई को अपने दिल में बसा लिया था। दिग्गज सचिन तेंदुलकर का बेटा अर्जुन आज यशस्वी का दोस्त है। वह कहता भी है कि हम दोनों की खूब जमती है। बेटे की इस उपलब्धि से मां कंचन और एकता, नम्रता के साथ बड़ा भाई तेजस्वी बेहद खुश हैं।

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