एनटी न्यूज़ डेस्क / दिल्ली / श्रवण शर्मा
भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे की वजह निजी कारण बताए जा रहे हैं।. फेसबुक पोस्ट के द्वारा अरुण जेटली ने सूचना दी कि मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम पारिवारिक वजहों से यूएस जा रहे हैं।
क्या कहा अरुण जेटली ने
अरुण जेटली ने अपनी फेसबुक पोस्ट के जरिये बताया कि ‘कुछ दिन पहले चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्यम वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मुझसे रूबरू हुए थे। उन्होंने मुझे बताया कि वह पारिवारिक प्रतिबद्धताओं के बढ़ते दबाव के कारण अमेरिका वापस लौटना चाहते हैं। यह उनकी व्यक्तिगत वजह हैं। उनका ह्रदय हमेशा यहां रहेगा और वो कहीं भी हो अपनी सलाह और एनालिसिस भेजते रहेंगे’।
https://www.facebook.com/notes/arun-jaitley/thank-you-arvind/804077679780782/
जानिए सुब्रह्मण्यम के बारे में
सुब्रह्मण्यम अमेरिका में ही रहते हैं। उनको अक्टूबर 2014 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया था। वो पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स के फेलो हैं। जब वो भारत आए थे तब वो ग्लोबल डेवलपमेंट में सीनियर फेलो भी थे। अरविंद इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड के इकोनॉमिस्ट भी रह चुके हैं। वो चीन और भारत के एक्सपर्ट माने जाते हैं।सुब्रमण्यन दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में पढ़े हैं। उन्होंने IIM अहमदाबाद से भी पढ़ाई की है। अरविंद ने एमफिल और डी फिल की डिग्री ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ली है। उनके 3 साल के कार्यकाल को सितंबर 2017 में 1 साल के लिए बढ़ाया गया था। इस साल अक्टूबर में वो देश छोड़कर चले जाएंगे।
Profoundly grateful & humbled by these extraordinarily generous words by Minister @arunjaitley announcing my decision to return-for personal reasons-to researching & writing. CEA job most rewarding, fulfilling, exciting I have ever had. Many many to thank:https://t.co/kwsRqDrMTB
— Arvind Subramanian (@arvindsubraman) June 20, 2018
एकेडमिक्स में लौटने का निर्णय
एक साल का सेवा विस्तार मिलने से पहले ऐसी खबरें थीं कि सुब्रमण्यम अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा करके वापस अमेरिका जाना चाहते हैं। सुब्रमण्यम वाशिंगटन के पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स में सीनियर फेलो हैं और अभी वहां से छुट्टी पर हैं. इससे पहले नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने भी इसी आधार पर यह पद छोड़कर वापस एकेडमिक्स में लौटने का निर्णय लिया था.
अरविंद सुब्रह्मण्यम के दिए ये महत्वपूर्ण योगदान
उन्होंने जनधन और जीएसटी को बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। सुब्रमण्यन ने सरकार को बैंकिंग सेक्टर में सुधार पर भी कई सुझाव दिए। इसमें बैंकिंग रिकैपिटलाइजेशन बॉन्ड प्रमुख हैं। आपको बता दें कि ‘उन्होंने 4 इकोनॉमिक सर्वे बनाए। उनके ताजा सर्वे को ऑनलाइन 117 देशों से करीब 1.5 करोड़ लोगों ने पढ़ा। उन्होंने ही अमीरों के लिए सब्सिडी खत्म करने का विचार दिया। साथ ही यूनिवर्सल बेसिक इनकम पर भी काम किया। साथ ही सरकार का ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया।
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