बीजेपी-पीडीपी का गठबंधन टूटने के बाद घाटी में राज्यपाल शासन लागू

एनटी न्यूज़ डेस्क / नई दिल्ली / श्रवण शर्मा

जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती के इस्तीफे के बाद राज्यपाल एनएन वोहरा ने राष्ट्रपति को भेजे गए एक पत्र में राज्य में केंद्र का शासन लागू करने की सिफारिश की थी। जानकारी के अनुसार, इसकी एक प्रति केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी भेजी गई थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से इसे मंजूरी मिलने के बाद जम्मू – कश्मीर में बुधवार को तत्काल प्रभाव से राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर की बागडोर राज्यपाल एनएन वोहरा को सौंप दी गई है.

जानिए जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन का नियम

देश के अन्य राज्यों में संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है. राज्यपाल शासन के अंतर्गत राज्य विधानसभा या तो निलंबित रहती है या उसे भंग कर दिया जाता है. अगर छह माह के भीतर राज्य में सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो पाती है तो इस व्यवस्था की मियाद को बढ़ाया जा सकता है। जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के तहत राज्य में छह माह के लिए राज्यपाल शासन लागू किया जाता है लेकिन ऐसा राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही हो सकता है।

राज्यपाल एनएन वोहरा

वोहरा पिछले दस साल से लगातार जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल हैं। वह कांग्रेस सरकार के समय नियुक्त एकमात्र ऐसे राज्यपाल हैं जिन्हें बीजेपी सरकार ने नहीं हटाया है। वोहरा को जून 2008 में राज्यपाल नियुक्त किया गया था और उन्हें 2013 में फिर से राज्यपाल का कार्यभार सौंपा गया था। 81 साल के वोहरा के हाथ में चौथी बार राज्य का शासन आ गया है।

वोहरा के कार्यकाल के दौरान गुलाम नबी आजाद, उमर अब्दुल्ला, मुफ्ती मुहम्मद सईद तथा महबूबा मुफ्ती (वर्तमान) के रूप में जम्मू कश्मीर में चार मुख्यमंत्री बदल चुके हैं। वोहरा के कार्यकाल में पहली बार और जम्मू कश्मीर में पांचवीं बार राज्यपाल शासन उस समय लगा था जब 28 जून 2008 को पीडीपी ने अमरनाथ भूमि मुद्दे पर कांग्रेस से समर्थन वापस ले लिया गया और गुलाम नबी आजाद सरकार अल्पमत में आ गई।

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